टीमरलगा का शाह चुना भट्टा व गुड़ेली का हनुमान क्रेशर उद्योग पर्यावरण और माइनिंग विभाग को दिखा रहा ठेंगा
“प्रखरआवाज@न्यूज”
पर्यावरण और प्रदूषण दूर करना जिले का थीम या फिर जिलाधिकारी करेंगे कार्यवाही
ग्रामीणों को परोस रहे धूल और धुएं का गुब्बार, प्रदूषण के साथ-साथ बीमारियों का खजाना बना क्रशर
सारंगढ़ न्यूज़/सारंगढ़ खनिज क्षेत्र टीमरलगा व गुडेली में चुना भट्टा व क्रशर मालिको की मनमानी थमने का नाम ही नहीं ले रही है। माइनिंग विभाग तो गाड़ियों पर लगातार कार्यवाही कर रहा है लेकिन कई क्रशर में अवैध तरीके से गिट्टी डंप करके रखा हुआ है आखिर विभाग की नज़र इस तरफ क्यों नहीं जा रही है ? जो समझ से परे है! गुडेली के हनुमान क्रशर में अवैध तरीके से गिट्टी भंडारण क्षमता से अधिक पत्थर डंप करके रखा गया है और शासन को लाखों करोड़ों का चुना लगा रहा हैं अगर क्रशर में माइनिंग विभाग जांच करेगा तो दूध का दूध और पानी का पानी हो जायेगा लेकिन माइनिंग विभाग जांच क्यों नहीं कर रहा है….? माइनिंग विभाग को क्रशर पहुंचकर जांच करना चाहिए क्या यह सही में वैध पत्थर डंप कर रखा है या अवैध तरीके से लेकर रखा हुआ है…? सूत्रों की माने तो टीमरलगा में शाह चुना भट्टा भी अपनी मनमानी कर गांव वालों को दिन हो या रात प्रदूषण का धुआं परोस रहा है इसके पूर्व गांव के कई जनप्रतिनिधियों ने शिकायत भी दर्ज कराई थी मगर विभाग है की सुनता ही नहीं ?
संबंधित विभाग क्यों नही दे रहा है ध्यान…कही..? डर तो नही – प्रदूषण विभाग की बात करें तो लगता है प्रदूषण विभाग तो सो ही रही है क्योंकि क्रशर वालों को चारों तरफ से खुली छूट दे रखी हैं ,लेकिन हनुमान क्रशर प्रदूषण विभाग को ठेंगा दिखाते हुए काम कर रहा है।यूं तो माना जा रहा है,कि रायगढ़ माइनिंग विभाग कार्यवाही करने में ओवरलोड और अवैध बालू के गाड़ियों पर लगातार कार्यवाही करता आ रहा था लेकिन सारंगढ़ के विभाग हनुमान क्रशर उद्योग पर क्यों ध्यान नहीं दिया जा रहा है ? स्थानीय निवासी बता रहे हैं कि माइनिंग विभाग के नियम कायदे की धज्जियां उड़ाने के लगा हुआ है लेकिन माइनिंग विभाग है!
कि इस ओर ध्यान ही नहीं दे रहा है या हो सकता है कुछ ऊंचे पहुंच के लोग होंगे इसीलिए इस क्रशर पर ध्यान दिया नहीं जा रहा होगा लेकिन नियम तो सबके लिए बराबर रहना चाहिए और इस क्रशर पर जांच कर कार्यवाही करना चाहिए। यहां पर तो नियम को ताव में रखकर क्रशर संचालित किया जा रहा है ना तो पर्यावरण विभाग का नियमों का पालन हो रहा है और ना ही माइनिंग विभाग का। यहां पर ना तो बोर्ड लगा हुआ है ना ही बाउंड्री वाल किया हुआ है ना दरवाजा लगा है और न ही सही से बोर्ड को बनाया हुआ है बल्कि इसके बगल में इनका पत्थर खदान भी मौजूद है। क्रशर में डस्ट के लिए फुहारा भी लगा होना जरूरी है लेकिन उसका तो अता पता नहीं है।
संबंधित चुनाभत्ता के मुंशी से पूछने पर उन्होंने साइन बोर्ड टूटा हुआ बताया जो लंबे समय से टूटा हुआ है वैसे ही कई गंभीर जानकारियां छान कर सामने आई है।
जिले के पर्यावरण और प्रदूषण को महज थीम ना मानकर इस दिशा पर बड़े कार्य और बड़ी कार्यवाही के लिए अब सिर्फ जिला के कलेक्टर मैडम पर ही नजर टिकी हुई है क्योंकि पर्यावरण और माइनिंग विभाग की खानापूर्ति कार्यवाही मीडिया और लोगों के समझ से परे है।