स्टोन क्रेशर की धूल फांक रहे ग्रामीण, रसूखदार नहीं कर रहे नियमों का पालन।
“प्रखरआवाज@न्यूज़”
प्रदूषण ने किया बेहाल, ग्रामीणों का जीना हो रहा मुहाल।
पवनी- विकासखंड बिलाईगढ़ के समीपस्थ लगे संचालित क्रेसर प्लांट में प्रबंधन शासन की ओर से निर्धारित मानकों का पालन नहीं कर रहा है। जिसकी सजा बिलाईगढ़ व गांव सहित आसपास के लोगों और राहगीरों को भुगतनी पड़ रही है। यह क्रेसर मुख्य मार्ग से महज 100 मीटर की दूरी पर होंगे।
मार्ग से आए दिन जिल के वरिष्ठ अधिकारियों का आवागमन होता रहता है। इसके बाद भी जिम्मेदारों की नजर कानून की धज्जिया उड़ा रहे रसूख के इस प्रतीक पर नहीं पड़ी। जहां क्रेसर संचालन के लिए निर्धारित शायद ही किसी सुरक्षा मानक का उपयेाग किया जा रहा हो। पत्थरों के पीसने से उडऩे वाली धूल धुंध बनकर आसपास के वातावरण में छा जाती है।
गौरतलब है कि क्रेसर संचालन के लिए जो नियम निर्धारित किए गए हैं उनका उद्देश्य क्रेसर मशीनों के आसपास रहने वाले लोगों को इससे होने वाले प्रदूषण से बचाना है। क्रेसर संचालन का लाइसेंस देते समय में उक्त दिशा निर्देशों को स्पष्ट किया जाता है। इसके साथ ही क्रेसर संचालक द्वारा लाइसेंस लेने के लिए नियमों का पालन करने की लिखित अनुमति दी जाती है।
बिलाईगढ़ ब्लॉक में ऐसे ही हाल
क्रेसरो के संचालन में बिलाईगढ़ ब्लॉक में इसी तरह ही लापरवाही बरती जा रही है। क्रेसर संचालन का लाइसेंस जारी करने के बाद विभागों द्वारा कागजों में ही सत्यापक कर औपचाकिरताएं पूरी कर ली जाती है। जानकारी के अनुसार खनिज विभाग द्वारा बिलाईगढ़ ब्लॉक में करीब 09 क्रेसर संचालन की अनुमति दी गई है। बिलाईगढ़ ब्लॉक में चल रहे क्रेसर में से शायद ही कोई क्रेसर ऐस हो जहां निर्धारित नियमों का पालन किया जा रहा हो।
लोगो को खाँसी दमा एवं अनेक प्रकार के बीमारियों का खतरा
क्रेसर 1 से 2 किमी. के आवासीय क्षेत्र को प्रभावित करता है। पत्थर खदानों में काम करने वाले मजदूर और आसपास रहने वाले लोगों में शत प्रतिशत खाँसी, दमा एवं अनेक प्रकार के बीमारिया होने की संभावना रहती है। इसके अलावा ये करीब किमी. क्षेत्र की खेती को भी गंभीर रूप से नष्ट करते हैं। इनके आसपास की जमीन बंजर हो जाती है। वही मशीनों को कबर्ड करने के साथ पानी का छिड़कान किया जाना चाहिए।
छाया रहता है धूल का गुबार
लोगों ने बताया कि क्रेसर मशीन के कारण आसपास के क्षेत्र में हमेशा धुंध छाई रहती है। क्रसर की धूल लोगों को बीमार भी कर रही है। इसके आवाला क्रेसर मुख्य मार्ग से लगे होने के कारण यहां से उडऩे वाल पत्थरों की डस्ट राहगीरों और वाहन वालोंको के आंख में भी चुभती है। क्रेसर मशीन का संचालन प्रभावशाली लोगों द्वारा किया जाता है और आसपास के कुछ लोगों को इससे रोजगार भी मिला हुआ है। इस कारण गांव के लोग प्रभावी तरीके से इसका विरोध भी नहीं कर पा रहे हैं।
क्रेसर के पास ही अवैध रूप से संचालित पत्थर खदान, शासन को करोड़ो की राजस्व हानि
बिलाईगढ़ मे अवैध खनन बिना लीज के खुलेआम चल रही पत्थर की खदानें, सीमा से अधिक गहराई में तोड़े जा रहे पत्थर लेकिन प्रशाशन ने बाधी अपनी चुप्पी
क्षेत्र में अवैध खनन थमने का नाम नही रहा है। यू तो बिलाईगढ़ क्षेत्र में अर्से से अवैध खनन चल रहा है।नियमों को ताक पर रख माफिया न सिर्फ उत्खनन कर रहे हैं बल्कि खनिज संसाधनों का दोहन कर रहे है। बीते कई सालों से अखबार अखबार प्रकान होने के बाद भी अधिकारी सुध नही लेते है आखिर क्या वजह की इन माफियाओं को न तो प्रशासन का भय है और न ही सरकार का, इस कारण सरकार को हर दिन लाखों के राजस्व का चूना लग रहा है। इन सबके पीछे एक सुनियोजित रैकेट काम कर रहा है। जिसकी पहुंच प्रशासन से लेकर सरकार के बड़े-बड़े नुमाइंदे तक है।
ऐसा ही एक ज्वलंत मामला बिलाईगढ़ क्षेत्र का प्रकाश में आया हैं। जहां बिलाईगढ़ क्षेत्र के समीपस्थ लगे गांव छपोरा,दुमुहानी, गोविंदवन, बेलटिकरी व अन्य कई गांवो के आस-पास की रैयती जमीन पर बिना लीज के ही पत्थर माफियाओं ने करोड़ों के पत्थर का उत्खनन कर बेच डाला है। वही बेलटिकरी में पत्थर तोडऩे की लीज है और कुछ स्थानों पर नहीं है। इसके अलावा सीमा से अधिक स्थान पर कब्जा करके ब्लास्टिंग कर खदान बना ली जिससे शासन को करोड़ों रुपये के राजस्व की हानि हो रही है लेकिन खनन विभाग गूंगा व बहरा बना हुआ है।
मालूम हो कि नगर मुख्यालय से कुछ दूरी पर स्थित कई स्थानों में क्रेशर लगे हुये हैं। छापोरा, दुमुहानी, गोविंदवन, टुण्डरी, व बेलटिकरी में पत्थर की खदाने स्थिति है, वह बहुत खराब हो चुकी है। निर्धारित सीमा से अधिक कारोबारियों ने खदानों को गहरा कर दिया जिससे उन खदानों में कभी भी अनहोनी घटना होने की संभावनायें हैं। इन खदानों में बेसमय ब्लास्टिंग की जाती है, जिससे आसपास रहने वाले लोगों के सिर पर हमेशा मौत मंडराती रहती है। इन क्षेत्रों में लगे क्रेशरों में नियम कानूनों का पालन एक प्रतिशत भी नहीं किया जाता है। नियम कानूनों की धज्जियां उड़ाते हुये क्रेशर संचालित किये जा रहे हैं। क्रेशर से उड़ती डस्ट से आसपास की खेती बंजर हो गयी। किसानों को काफी नुकसान हुआ। खनन विभाग की मिलीभगत से यह कारोबार बखूबी संचालित किया जा रहा है। खनन विभाग के अधिकारी और कर्मचारी बिना लीज के खदानें चलवा रहे हैं।
लीज से अधिक जमीन पर खोद कर निकाल लिया पत्थर ।
मिली जानकारी के मुताबिक बिलाईगढ़ विकासखंड क्षेत्र में खनन विभाग ने विभिन्न एजेंसियों को कुल 25.50 एकड़ जमीन लीज पर दी गयी है। लेकिन जो मामले प्रकाश में आये हैं बेलटिकरी उसका क्षेत्रफल हेक्टेयर में 0.980 है।
उसके मुताबिक लीज के ही अधिक जमीन माफियाओं ने खोद डाले और पत्थर खनन कर करोड़ों के वारे-न्यारे कर लिये हैं।
नियम कानून को ठेंगा
दबंग पत्थर माफियाओं ने सारे नियम कानून को ठेंगा दिखाते हुए न केवल अवैध तरीके से पत्थर निकाले हैं बल्कि पर्यावरण को भी खासा नुकसान पहुंचाया है, जबकि इन अवैध उत्खननों की निगहबानी के लिए उत्तरदायी खनन विभाग कानों में तेल डाले सोया पड़ा है।
इस संबंध में ग्रामीणों ने बताया कि ब्लास्टिंग से आसपास के मकान में दरारे आ जाती हैं लेकिन खनन माफियाओं के हौसले इस कदर बुलंद हैं कि आए दिन वह ब्लास्टिंग करके छलनी कर रहे हैं तथा बड़ी बड़ी वाहन अवैध पत्थर उत्खनन में संचालित किए जा रहे। गांव में एक भय का माहौल है।
अवैध उत्खनन में कार्रवाई की मांग – लोगो ने प्रशासन को आशंका जतायी है कि बिना सीमांकन कराये लीज धारक जमीन की धड़ल्ले से खुदाई कर रहे हैं। लोगो ने पूरे मामले की जांच और सीमांकन करके दोषियों पर कार्रवाई की मांग की है।
वही इस मामले में सारंगढ- बिलाईगढ़ जिला माइनिंग अधिकारी एच डी भारद्वाज मो. 9406089098 अपना पलड़ा झाड़ते हुए ऑफिस में नही हु अभी नही बात सकता बाद में बात करता कर के फोन काट दिया।