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कानन पेंडारी जू में एक और भालू की हुई मौत

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26 दिन के भीतर तीसरे भालू की गई जान…पेंड्रा में भी एक हिरण को कुत्तों ने मार डाला

बिलासपुर। जिले के कानन पेंडारी जूलॉजिकल पार्क में एक सप्ताह से बीमार भालू को प्रबंधन बचाने में कामयाब नहीं हो सका। यहां शुक्रवार दोपहर इलाज के दौरान मादा भालू ‘कविता’ की मौत हो गई। जू में इनफ़ेक्सेस केनान हेपेटाइटिस (आईसीएच) संक्रमण फैलने की आशंका है। माना जा रहा है कि इसके चलते पिछले 26 दिन के भीतर तीन भालुओं की मौत हो गई। पेंड्रा में भी कुत्तों ने हिरण पर हमला कर दिया, जिससे उसकी मौत हो गई।

कानन पेंडारी जूलॉजिकल पार्क में अब वन्य प्राणियों की सुरक्षा को लेकर सवाल उठने लगा है। यहां वन्य प्राणियों की मौत का सिलसिला थमने का नाम ही नहीं ले रहा है। बीते 26 फरवरी को बीमार भालू की मौत हुई, तब प्रबंधन ने निमोनिया से मौत होने की जानकारी दी थी। अभी प्रबंधन वन्य प्राणियों की बेहतर देखरेख करने का दावा कर ही रहा था कि फिर से 10 मार्च को दूसरे भालू ने भी अचानक दम तोड़ दिया।

कानन पेंडारी में भालू के शव काे जलाया गया
इस बार भी प्रबंधन ने संक्रमण को छिपाने का प्रयास किया और सांस लेने में तकलीक होने से भालू की मौत होने का दावा किया। इसके बाद फिर से मादा भालू कविता की तबीयत खराब होने की बात सामने आई। उसके इलाज के लिए बाहर से विशेषज्ञ भी बुलाए गए। जांच के दौरान बताया गया कि कानन पेंडारी जू इनफ़ेक्सेस केनान हेपेटाइटिस संक्रमण के चलते भालू के बीमार होने की बात सामने आई। लिहाजा, प्रबंधन ने भालू को पर्यटकों से अलग कर क्वारंटाइन कर दिया था। लेकिन, इसके बाद भी उसकी तबीयत में सुधार नहीं हुआ और आखिरकार शुक्रवार को भालू की मौत हो गई।

तीन दिन से बंद कर दिया था खाना
बताया जा रहा है कि बीमारी की हालत में भालू का आहार कम होने लगा था। तीन दिन पहले ही उसने खाना बंद कर दिया था। माना जा रहा है कि दो भालूओं की मौत के बाद मादा भालू कविता भी संक्रमण की चपेट में आ गई थी। सोमवार की सुबह से उसे सांस लेने में तकलीफ होने लगी थी। शुक्रवार को उसने भी दम तोड़ दिया।

कानन पेंडारी में एक माह पहले घायल बाघिन की भी मौत हो गई थी
जू के वन्य प्राणियों में भी संक्रमण फैलने की आशंका
कानन पेंडारी जू में एक-एक कर तीन भालुओं की मौत के बाद अब यहां रहने वाले 632 अलग-अगल प्रकार के वन्यजीवों में भी संक्रमण फैलने की आशंका है। ऐसे में समुचित देखरेख के अभाव में वन्यजीवों पर खतरा हो सकता है। इसके बाद भी जू प्रबंधन कोई ध्यान नहीं दे रहा है।

इंफेक्शन का कोई इलाज नही आइसोलेशन का ही सहारा
कानन पेंडारी जू के अफसरों का कहना है कि संक्रमण कहा से आया इसकी जानकारी नहीं है। यह संक्रमण सिर्फ केनान फैमली में ही होता है। ऐसे में संक्रमण के भालूओं पर ही असर हो सकता है। यही वजह है कि भालुओं के एहतियात बरती जा रही है। बाकि के वन्य प्राणियों में इस संक्रमण का खतरा नहीं है।

पेंड्रा में गांव के करीब पहुंचे हिरण का कुत्तों ने शिकार कर लिया
डेढ़ माह में हिप्पो, बाघ सहित 5 वन्यप्राणी ने तोड़ा दम
12 फरवरी को मादा हिप्पोपोटामस सहेली की मौत हो गई थी। प्रबंधन और डॉक्टरों ने उसकी वजह की वजह हार्ट अटैक को बताया था। फिर 26 फरवरी को एक नर भालू की मौत हो गई थी। उस समय भालू की मौत की वजह निमोनिया बताया गया था। 3 मार्च को घायल बाघिन रजनी की कानन में मौत हो गई। 10 मार्च को दूसरे नर भालू की मौत हो गई। अभी भी यहां के वन्यप्राणियों को संक्रमण का खतरा बना हुआ है।

गौरेला में कुत्तों के हमले से हिरण की मौत
इधर, गौरेला के तरईगांव में शुक्रवार को हिरण जंगल में विचरण करते हुए गांव के करीब पहुंच गया। जिसे कुत्तों ने देख लिया और दौड़ाना शुरू कर दिया। देखते ही देखते कुत्तों ने हिरण को नोंच कर घायल कर दिया। जिससे उसकी मौत हो गई। ग्रामीणों ने हिरण की मौत की सूचना वन विभाग को दी। लेकिन, वनकर्मियों के हड़ताल में होने के कारण वहां कोई नहीं पहुंचा।

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