बाल विवाह से होने वाले परेशानियों को साझा कर युवाओं को करें जागरूक : कलेक्टर डॉ संजय कन्नौजे

बाल विवाह मुक्त छत्तीसगढ़ के तहत जिला स्तरीय कार्यशाला सम्पन्न
सारंगढ़-बिलाईगढ़, 20 नवंबर 2025/कलेक्टर डॉ संजय कन्नौजे की अध्यक्षता में परियोजना कार्यालय सारंगढ़ में “बाल विवाह मुक्त छत्तीसगढ़” के तहत जिला स्तरीय उनमुखीकरण कार्यशाला का आयोजन किया गया। कलेक्टर डॉ कन्नौजे ने छत्तीसगढ़ महतारी के छायाचित्र के समक्ष दीप प्रज्जवलित कर कार्यक्रम का शुभारम्भ किया। इस दौरान पुलिस, समाज कल्याण और विधि विभाग से आए अतिथियों ने बाल विवाह मुक्त विषय पर अपने व्याख्यान दिए। साथ ही लघु फ़िल्म का प्रदर्शन कर जागरूक किया गया। साथ ही बाल विवाह मुक्त का शपथ लिया गया। इस कार्यशाला में डिप्टी कलेक्टर शिक्षा शर्मा, उप संचालक विनय तिवारी, पुलिस, अधिवक्तागण, महिला एवं बाल विकास अंतर्गत अधिकारियों में बृजेन्द्र ठाकुर, कृष्ण कुमार साहू, रजनी (विधिक परिवीक्षा), शालिनी सिंह (सखी सेंटर), पायल साहू (बाल संरक्षण), पर्यंवेक्षक विजेता केशरवानी, गीता नायक आदि उपस्थित थीं।
मुख्य अतिथि कलेक्टर डॉ संजय ने कहा कि देवउठनी एकादशी के बाद में शादी का सीजन चालू हो जाता है। हमारा उद्देश्य, हमारा जिला बाल विवाह मुक्त हो। इसके लिए महिला एवं बाल विकास और पुलिस विभाग को मिलकर काम करना है। पलायन किए परिवार के किशोरी बालक बालिकाओं, कक्षा 12वीं और कॉलेज में पढ़ने वाले युवक युवतियों को जागरूक करना होगा कि वह नाबालिक होने पर विवाह ना करें, यदि वह इस अवस्था में बाल विवाह करते हैं, सयोंगवश यदि उस समय बालिका कुपोषित है और गर्भधारण करती है तो बच्चा भी कुपोषित होने की संभावना रहता है। ऐसी स्थिति में यदि थाना में प्रकरण दर्ज होता है तो और भी मामला जटिल हो जाता है। इन परिस्थितियों से निपटने के लिए स्कूल शिक्षा, उच्च शिक्षा, पुलिस और विधि विभाग को फोकस करना होगा।
स्कूल, कॉलेज, गांव, शहर में किए जागरूकता से बाल विवाह मुक्ति अभियान को मिलेगा सहयोग
जिलाधीश डॉ कन्नौजे ने कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों में आंगनबाडी सहायिका, कार्यकर्ता, बिहान दीदी, मितानिन आदि अपने कार्य के साथ साथ बाल विवाह मुक्त अभियान में सहयोग करें। समाज में बेटियों को बोझ मानने की विचारधारा बैठी है, सभी बाल विवाह से होने वाली कई परेशानी को समझे, दूसरों को समझायें, जागरूक बने, जब तक बाल विवाह मुक्त अभियान को नहीं समझायेंगे तब तक समाज की विचारधारा में बदलाव नहीं आएगा। स्कूल, कॉलेज, गांव, शहर में जागरूकता अभियान, शिविर चलाकर ही छत्तीसगढ़ से बाल विवाह को मुक्त किया जा सकता है।




