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“माँ चंद्रहासिनी धाम पर आयोजित गंगा आरती में नारी शक्ति और धर्मनिष्ठा की झलक

सारंगढ़-बिलाईगढ़।माँ चंद्रहासिनी धाम, चंद्रपुर स्थित पावन महा नदी तट पर शनिवार की शाम गंगा आरती का अनुपम और अलौकिक आयोजन हुआ। तुलसी मानस समिति एवं माँ चंद्रहासिनी ट्रस्ट द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम ने श्रद्धा, भक्ति और संस्कृति की अद्वितीय मिसाल कायम की। हजारों दीपों से आलोकित तट पर वातावरण मंत्रोच्चार, भजन और श्रद्धा की ऊर्जा से परिपूर्ण रहा।

इस ऐतिहासिक आयोजन की मुख्य अतिथि बनीं छत्तीसगढ़ के यशस्वी मुख्यमंत्री माननीय विष्णुदेव साय जी की धर्मपत्नी श्रीमती कौशल्या साय। उन्होंने अपनी गरिमामयी उपस्थिति से पूरे आयोजन को गौरवान्वित किया। नवरात्रि के नव दिवस उपवास के बाद भी उन्होंने प्रदेश के विभिन्न धार्मिक आयोजनों में सक्रिय भागीदारी निभाकर त्याग, तपस्या और धर्मनिष्ठा का अनुपम उदाहरण प्रस्तुत किया।

कौशल्या साय: समाज और धर्म की प्रेरक शक्ति

श्रीमती कौशल्या साय केवल मुख्यमंत्री की धर्मपत्नी ही नहीं, बल्कि प्रदेश की नारी शक्ति, धर्म परायणता और सामाजिक चेतना की प्रतिमूर्ति हैं। वे अपने सरल व्यक्तित्व, मधुर भाषण शैली और आध्यात्मिक दृष्टिकोण से जन-जन के हृदय को स्पर्श करती हैं।

वे छत्तीसगढ़ी और हिंदी दोनों भाषाओं में सहजता से संवाद करती हैं, जिससे उनकी बातें सीधे लोगों के दिलों तक पहुँचती हैं।

वे हमेशा नारी सशक्तिकरण, सामाजिक एकता और पर्यावरण संरक्षण जैसे मुद्दों पर जोर देती रही हैं।

हाल ही में उन्होंने नदियों को प्रदूषण मुक्त करने और प्रदेश को स्वच्छ बनाने का संकल्प लेकर लोगों को प्रेरित किया है।

साध्वी प्रज्ञा दीदी का संदेश

विशेष उपस्थिति साध्वी प्रज्ञा दीदी की रही, जिन्होंने अपने उद्बोधन में पूरे भारत में चल रहे “नदी आरती महाअभियान” की जानकारी दी। उन्होंने कहा कि नदियाँ केवल जलधारा नहीं बल्कि हमारी संस्कृति और आस्था की जीवनरेखा हैं। उन्हें प्रदूषण मुक्त रखना हर नागरिक का कर्तव्य है।

विशिष्ट जनों की गरिमामयी उपस्थिति

इस अवसर पर श्रीमती संयोगिता युद्धवीर सिंह जूदेव, जिला पंचायत अध्यक्ष संजय भूषण पांडेय, पूर्व विधायक सत्यानंद राठिया और संतोष उपाध्याय, भाजपा सारंगढ़ मंडल अध्यक्ष जय बानी, अधिवक्ता दीपक तिवारी, ट्रस्ट व्यवस्थापक गोविंद अग्रवाल सहित असंख्य सामाजिक-आध्यात्मिक हस्तियाँ मौजूद रहीं।

माँ चंद्रहासिनी तट: नई आध्यात्मिक क्रांति का केंद्र

दीपों की पंक्तियों से प्रकाशित और मंत्रोच्चार की गूंज से अलंकृत यह आयोजन न केवल धार्मिक अनुष्ठान रहा, बल्कि छत्तीसगढ़ की आध्यात्मिक चेतना, सांस्कृतिक एकता और सामाजिक समरसता का भव्य संगम बन गया। उपस्थित श्रद्धालुओं ने माँ गंगा, माँ महा नदी और माँ चंद्रहासिनी से प्रदेश की सुख-शांति एवं समृद्धि की प्रार्थना की।

भविष्य का संकल्प

श्रीमती कौशल्या साय ने अपने संबोधन में कहा कि छत्तीसगढ़ की पहचान इसकी नदियाँ, इसकी संस्कृति और इसकी सरलता है। हमें इन्हें स्वच्छ, सुरक्षित और प्रदूषण मुक्त रखना है। उन्होंने लोगों से प्रदेश के विकास और सांस्कृतिक उत्थान के लिए एकजुट होकर कार्य करने का आह्वान किया।

इस प्रकार, माँ चंद्रहासिनी धाम का यह आयोजन केवल धार्मिक उत्सव नहीं, बल्कि एक नवीन आध्यात्मिक क्रांति की शुरुआत साबित हुआ, जिसका नेतृत्व नारी शक्ति और धर्म परायणता की प्रतीक श्रीमती कौशल्या साय ने की।

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