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बिलासपुर कानन के काला हिरण अब जंगल सफारी की शान

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कानन पेंडारी जू में 40 काला हिरण अब रायपुर के जंगल सफारी की शान बन गए हैं। इन हिरणों को जू प्रबंधन ने मुफ्त में दिया है। दरअसल यहां क्षमता से अधिक हिरण थे। जिसके चलते कई तरह की दिक्कत आ रही थी। सबसे बड़ी परेशानी इनके बीच आपसी भिडंत की थी। अब 40 हिरण ही रह गए हैं, जो केंद्रीय चिड़ियाघर प्राधिकरण के मापदंड के अनुरुप है।

बिलासपुर। वन विभाग का कानन पेंडारी जू छत्तीसगढ़ का सबसे बड़ा चिड़ियाघर है। जहां 65 से अधिक प्रजातियों के लगभग 700 वन्य प्राणी है। अब यह जू वन्य प्राणियों के प्रजनन का बड़ा केंद्र भी बन चुका है। बाघ, भालू से लेकर हिरणों की संख्या लगातार बढ़ रही है। जू के लिए यह अच्छी बात है। लेकिन, परेशानी भी है। संख्या बढ़ने से केज के भीतर इनमें आपसी भिडंत होती है नुकसान भी होता है। यही कारण है कि जू प्रबंधन धीरे- धीरे उन वन्य प्राणियों को मुफ्त में अलग- अलग जू को दे रहा है, जिनकी संख्या क्षमता से अधिक है।

वन्य प्राणी मुफ्त में दिए

पिछले दिनोें पुणे, नागपुर, रोहतक जैसे देश के नामी चिड़ियाघरों को कानन से अलग- अलग वन्य प्राणी मुफ्त में दिए गए हैं। इसी क्रम में जंगल सफारी से काला हिरण की मांग आई। प्रबंधन ने हामी भी भर दी। इसकी वजह कानन के भीतर 80 हिरणों का होना था। प्राधिकरण से भी 35- 40 काले हिरण रखने का निर्देश है। इसीलिए प्रबंधन ने जंगल सफारी के प्रस्ताव पर मंजूरी दी। सहमति मिलने के बाद बुधवार को 40 हिरणों को लेने के लिए जंगल सफारी का दल पहुंचा और काफी जद्दोजहद के बाद सभी हिरण को विभागीय वाहन में लेकर लौट गए।

बोमा तकनीक से वाहन में आए

हिरण जंगल सफारी का दल, जिस वाहन को लेकर कानन पेंडारी पहुंचा था, उसके अंदर सभी हिरणों को लाना आसान नहीं था। जू प्रबंधन ने बोमा तकनीक अपनाई। इस तकनीक के तहत ग्रीन नेट या लोहे की जाली का गलियारा बनाया जाता है। जिसमें आहार छिड़के जाते हैं। इन्हें खाते- खाते हिरण वाहन तक पहुंचते हैं और फिर स्लाइडर बंद कर दिया जाता है।

केज में खुलकर करेंगे उछलकूद

संख्या आधी होने से बचे हिरण खुलकर केच में उछलकूद कर सकते हैं। अभी तक 35 से 40 हिरणों की क्षमता वाले इस केज में 80 रह रहे हैं। इस वजह से हिरण ठीक तरह आराम से बैठ भी नहीं पाते हैं। इसके अलावा इनमें भिडंत होने का हमेशा खतरा बना रहता है।

 

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