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फल-फूल रहा खून के दलालों का गिरोह, रक्तदान शिविर आयोजन के आढ़ में खेल

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जांजगीर – चांपा : दान में मिले रक्त का वास्तविक उपयोग कहां हो रहा है इसकी जानकारी रक्तदाताओं को नहीं होती। साथ ही जिले के मरीजों को इस रक्त का कोई लाभ नहीं मिल पाता। जबकि दूसरे जिले के ब्लड बैंकों के सहयोग से रक्तदान शिविर लगाने पर इसकी अनुमति सीएमएचओ कार्यालय से लिया जाना आवश्यक है।

साथ ही रक्तदान में मिले कुल यूनिट के 20 प्रतिशत रक्त को जिला अस्पताल के ब्लड बैंक में जमा करने की भी शर्त है मगर इसकी पूरी तरह अनदेखी हो रही है।जिले में विभिन्न् संस्थाओं द्वारा दूसरे जिले के ब्लड बैंकों के सहयोग से रक्तदान शिविर का आयोजन आए दिन किया जाता है।

इन शिविरों में रक्तदाताओं को प्रोत्साहन के नाम पर हेलमेट भी पुरस्कार में दिया जाता है मगर शिविर में मिले सभी रक्त दूसरे जिले के ब्लड बैंक संचालक ले जाते हैं। इस रक्त का उपयोग जिलेवासी जरूरत पड़ने पर नहीं कर सकते। दूसरे जिले के ब्लड बैंकों के द्वारा जिले में कैंप लगाए जाने पर अनुमति सीएमएचओ कार्यालय से लेने का नियम है।

साथ ही यह भी शर्त है कि शिविर में प्राप्त रक्त के कुल यूनिट के 20 प्रतिशत को सरकारी ब्लड बैंंक में जमा किया जाना है। लेकिन ब्लड जमा करना तो दूर अनुमति लेना भी मुनासिब नहीं समझा जाता। ऐसे में बाहरी ब्लड बैंक आए दिन यहां किसी न किसी संस्थान के सहयोग से कैंप लगाते हैं और दान में मिले रक्त को ले जाते हैं।

जिले के युवक बड़े उत्साह से रक्तदान करते हैं लेकिन उनके दिए रक्त का उपयोग जिलेवासी ही नहीं कर पाते । ऐसे में जिले के सरकारी और निजी ब्लड बैंकों में पर्याप्त मात्रा में ब्लड जमा नहीं हो पाता। जिसके चलते सिकलिन के मरीज, दुर्घटना में घायल और प्रसव के दौरान गर्भवती महिलाओं को रक्त नहीं मिल पाता।

कई बार ब्लड के लिए दूसरे जिले का चक्कर भी काटना पड़ता है। जिले में कोरबा, बिलासपुर जिले के निजी ब्लड बैंकों द्वारा कैंप ज्यादातर लगाया जाता है।100 से 150 यूनिट तक इकट्ठा हो जाता है रक्तजिले में रक्तदान शिविर में 100 से 150 यूनिट तक रक्त एकत्र हो जाता है।

शिविर में रक्तदाताओं को हेलमेट देकर सम्मानित करने की घोषणा से गांव के युवक भी बढ़ -चढ़कर इसमें शामिल होते हैं और रक्तदान करते हैं मगर रक्तदाताओं को यह जानकारी भी नहीं होती कि उनके रक्त का उपयोग कहां हो रहा है। रक्तदान करने वाले कभी अपने रक्त का न तो हिसाब लेते न उन्हें जानने की भी इच्छा होती कि उनका अमूल्य रक्त का उपयोग कहां हो रहा है। जरूरतमंदों को इसका लाभ मिल रहा है कि उनका दान व्यर्थ गया।

कई कैंपों में दूसरे जिले के ब्लड बैंकों के द्वारा रक्त इकट्ठा किया जाता है और उस रक्त का लाभ जिले के मरीजों को नहीं मिल पाता। दूसरे जिले के ब्लड बैंकों के सहयोग से कैंप लगाए जाने पर इसकी अनुमति सीएमएचओ कार्यालय से लिया जाना अनिवार्य है मगर इसका पालन नहीं होता। ऐसे में जिले के लोगों के द्वारा किए गए रक्तदान का लाभ जिलेवासियों को नहीं मिल पाता। महेश राठौर संयोजक रक्तदाता क्रांति समूह जांजगीर-चांपा’

दूसरे जिले के ब्लड बैंकों के सहयोग से रक्तदान शिविर लगाने के लिए जिले से अनुमति आवश्यक है। साथ ही यह भी शर्त है कि रक्तदान में मिले 20 प्रतिशत रक्त जिला अस्पताल के ब्लड बैंक में जमा करना होगा मगर कई कैंपों की अनुमति नहीं ली जाती वहीं कुछ जगह अनुमति ली जाती है। जानकारी होने पर ऐसे कैंपों पर हस्तक्षेप किया जाता है।डा. अश्वनी राठौरपैथोलाजिस्ट, जिला अस्पताल जांजगीर

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