एंबुलेंस नहीं मिली..पत्नी को बैलगाड़ी पर लेकर पहुंचा अस्पताल: खैरागढ़ के बुजुर्ग की तस्वीर वायरल; अधिकारी सफाई देने में जुटे
छत्तीसगढ़ के खैरागढ़ में एंबुलेंस न मिलने के कारण बुजुर्ग ने बैलगाड़ी से पत्नी को अस्पताल पहुंचाया
छत्तीसगढ़ के खैरागढ़ जिले के रगरा गांव के निवासी हीरादास कोठले ने सोमवार को अपनी बीमार पत्नी को एंबुलेंस न मिलने के कारण बैलगाड़ी से अस्पताल पहुंचाया। हीरादास की पत्नी की तबीयत अचानक बिगड़ी थी, और उन्हें प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र तक पहुंचाने के लिए कोई एंबुलेंस उपलब्ध नहीं थी।
बैलगाड़ी से अस्पताल जाने की मजबूरी
हीरादास को अपनी पत्नी को अस्पताल ले जाने के लिए एकमात्र विकल्प के रूप में बैलगाड़ी का सहारा लेना पड़ा। उन्हें दूरदराज के इलाके में एंबुलेंस सेवा की कमी का सामना करना पड़ा, जो कि ग्रामीण इलाकों में अक्सर समस्या बन जाती है। जब अन्य कोई विकल्प नहीं बचा, तो उन्होंने बैलगाड़ी में अपनी पत्नी को लिटाया और उसे स्वास्थ्य केंद्र तक पहुंचाया।
ग्रामीण इलाकों में स्वास्थ्य सेवाओं की कमी
इस घटना ने ग्रामीण इलाकों में स्वास्थ्य सेवाओं की कमी और जरूरी आपातकालीन सेवाओं की अनुपलब्धता की ओर एक बार फिर ध्यान आकर्षित किया है। हालाँकि, यह घटना एक उदाहरण है, लेकिन इस प्रकार की समस्याएँ अक्सर उन क्षेत्रों में होती हैं जहाँ स्वास्थ्य सेवाओं की पहुंच कम होती है।
हीरादास की यह कोशिश और साहस ने यह साबित किया कि जब कोई और रास्ता नहीं बचता, तो व्यक्ति अपने परिवार के इलाज के लिए किसी भी हद तक जा सकता है।
पत्नी की हालत ऐसी थी कि वह साइकिल या बाइक पर नहीं बैठ सकती थीं। अस्पताल के बाहर बैलगाड़ी पर मरीज को देखकर लोग हैरान रह गए। किसी ने उनकी तस्वीर को सोशल मीडिया पर पोस्ट कर दी। जिसके बाद प्रशासन पर सवालों की बौछार शुरू हो गई।
अस्पताल के बाहर बैलगाड़ी पर मरीज को देखकर लोग हैरान रह गए।
बाजार अतरिया प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के अंतर्गत 6 उप-स्वास्थ्य केंद्र और 43 गांव आते हैं। इसके बावजूद यहां एंबुलेंस की सुविधा का अभाव है। क्षेत्रवासियों और अस्पताल कर्मचारियों ने कई बार एंबुलेंस की मांग की, लेकिन कोई ठोस पहल नहीं हुई।
बीमार पत्नी को बैलगाड़ी पर लेकर अस्पताल पहुंचा बुजुर्ग।
कॉल किया होता तो एंबुलेंस जरूर पहुंचती- BMO
खैरागढ़ के बीएमओ डॉ. विवेक बिसेन का कहना है कि यदि 108 सेवा को कॉल किया गया होता तो एंबुलेंस पहुंच सकती थी। लेकिन सवाल यह है कि यदि यह सेवा इतनी सुगम होती, तो हीरादास को बैलगाड़ी का सहारा क्यों लेना पड़ता?
बुजुर्ग हीरादास की पत्नी की हालत अब स्थिर है।
तस्वीर वायरल होने के बाद स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी सफाई देने में जुट गए हैं। वहीं बुजुर्ग हीरादास की पत्नी की हालत अब स्थिर है और वह घर लौट चुकी हैं।