सीएलई के चेयरमैन ने वित्त मंत्री से की बजट में पीएलआई स्कीम लाने की मांग, जानें कैसे होगा फायदा
नई दिल्ली। चमड़ा और फुटवियर निर्यातकों के संगठन ने मंगलवार को सरकार से रोजगार सृजन, घरेलू विनिर्माण और निर्यात को बढ़ावा देने के लिए उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना का विस्तार चमड़ा उद्योग तक करने की मांग की। चमड़ा निर्यात परिषद (सीएलई) के चेयरमैन राजेंद्र कुमार जालान ने यहां वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के साथ बजट-पूर्व बैठक में यह मांग रखी।
सीएलई के चेयरमैन ने कहा, कि ‘‘पीएलआई योजना को लागू करने से चमड़ा उद्योग का संरचनात्मक बदलाव होगा और देश एक प्रमुख विनिर्माण केंद्र बन जाएगा।’’ इसके साथ ही सीएलई ने सरकार से नम नीले चमड़े,
क्रस्ट (टैनिंग के बाद सुखाए गए) चमड़े और तैयार चमड़े पर आयात शुल्क में छूट देने का भी आग्रह किया। उन्होंने कहा, कि पीएलआई न केवल क्षमता आधुनिकीकरण और मौजूदा इकाइयों के विस्तार बल्कि स्टार्टअप में भी घरेलू एवं विदेशी निवेश को बढ़ावा देगा, जिससे समग्र उत्पादन आधार का विस्तार होगा।
जालान ने कहा कि ‘‘पीएलआई के लाभ में 6,000 करोड़ रुपये का वृद्धिशील निवेश और प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष रूप से लगभग 20 लाख श्रम कार्यबल का अतिरिक्त रोजगार सृजन शामिल होगा।’’ उन्होंने कहा कि वित्त वर्ष 2022-23 में नम नीले चमड़े,
क्रस्ट और तैयार चमड़े का आयात 45.07 करोड़ डॉलर का था लेकिन मूल्यवर्धित उत्पादों का निर्यात 5.26 अरब डॉलर था, जो आयात से 10 गुना अधिक है। सरकार से अनुरोध है कि नम नीले, क्रस्ट और तैयार चमड़े पर लग रहे 10 प्रतिशत आयात शुल्क को हटा दिया जाए।
चेयरमैन राजेंद्र कुमार ने सरकार से क्रस्ट चमड़े समेत सभी मूल्यवर्धित चमड़े के निर्यात को बिना किसी निर्यात शुल्क के अनुमति देने का भी अनुरोध किया। उन्होंने कहा, ‘‘ऐसा होने पर अगले दो-तीन वर्षों में मूल्यवर्धित चमड़े के निर्यात में कम-से-कम एक अरब डॉलर का बड़ा उछाल आएगा।’’ फिलहाल कच्ची खाल, क्रस्ट एवं नम नीले चमड़े पर 40 प्रतिशत और भैंस की कच्ची खाल पर 30 प्रतिशत निर्यात शुल्क लगता है।