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अपनी रक्षा करना तो सबको आना चाहिए

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सुनील दास

देश में अपराध बढ़ रहे हैं, लूटमार के लिए हमले बढ़ रहे है, लोग घर व बाहर सुरक्षित नहीं है। लोगों में असुरक्षा का भाव बढ़ा है। अपनी सुरक्षा को लेकर चिंता बढ़ी है।कहने सुनने में अच्छा लगता है कि जनता के जानो-माल की सुरक्षा की जिम्मेदारी सरकार की है पुलिस की है। हकीकत यह है कि एक एक आदमी की सुरक्षा के लिए पुलिस लगाई नहीं जा सकती। आबादी बढ़ती जा रही है लेकिन उसके हिसाब से सुरक्षा व्यवस्था हो नहीं पाती है, अपराधियों को तो जहा मौका मिलता है, वह अपराध करने से चूकते नहीं है।

जो मौके पर मिल गया उसे लूट लेते हैं, वह नहीं देखते हैं कि कोई ठेले-खोमचे वाला है, कोई रिक्शा चलाने वाला है, कोई नौकरी कर घर जा रहा है।कोई पैसे लूट लेता है, कोई सोने की चेन छीन कर भाग जाता है, कोई और कुछ नहीं तो मोबाइल लूट लेता है। कहने को यह छोटे छोटे अपराध हैं, लेकिन यही छोटे-छोटे अपराध करने वाले एक दिन बड़े अपराध करते हैं। वह किसी को नहीं छोड़ते हैं।

अपराधी तो साधु संतो को भी नहीं छोड़ते हैं।जैन समाज के साधु संतों पर हमले की घटनाएं बढ़ने से जैन समाज उनकी सुरक्षा को लेकर चिंतित है। शहर के भीतर तो समाज उनकी सुरक्षा की व्यवस्था कर सकता है लेकिन जैन समाज साधु संत, साध्वी देश भर में पैदल ही यात्रा करते हैं, कई जगह उनकी सुरक्षा की व्यवस्था नहीं हो पाती है। इसलिए जैन समाज ने साधु-साध्वियों को आत्मरक्षा के लिए पेपर स्प्रे देने का फैसला किया है तो यह वक्त की जरूरत है, अब तक साधु-साध्वियों पर हमले नहीं हो रहे थे तो उनको इस तरह की सुरक्षा की जरूरत नहीं थी। अब साधु-साध्वियां भले ही आत्मरक्षा के लिए पेपर स्प्रे की जरूरत महसूस न कर रहे हों लेकिन उनकी सुरक्षा के लिए चिंतित समाज तो जरूरत महसूस कर रहा है।

प्रकाशित एक खबर के मुताबिक साधु-साध्वियों के यह पेपर स्प्रे अखिल भारतीय मूर्तिपूजक तपागच्छ महासंघ ने तैयार करवाया है। देश भर में ५०० गुर भगवंतो के ग्रुप में  सात हजार साध्-साध्वियों की सुरक्षा के लिए पहुंचाया जा चुका है। दो महीने में देश भर में साधु-साध्वियों तक पहुंचाया जाएगा ताकि कभी कोई हमला करे तो वह अपनी सुरक्षा तो कर सकें। जैन साधु-साध्वियां अहिंसा के मार्ग पर चलने वाले होते हैं,वह अपनी सुरक्षा के लिए हथियार नहीं रख सकते, इसलिए उनकी सुरक्षा के लिए समाज ने पेपर स्प्रे तैयार किया है। उन तक पहुंचाया है।

खबर के मुताबिक हमले की घटनाओं को देखते हुए एक दो हजार साधु-साध्वियों के लिए कराते प्रशिक्षण का प्रबंध करने की तैयारी है। यह प्रशिक्षण आने वाले दिनों में शुरू हो सकता है।बताया जाता है कि सूरत में ५० से अधिक साधु साध्वियों के लिए अभा श्वेतांबर मूर्तिपूजक तपागच्छ महासंघ ऐसे प्रशिक्षण करवा चुका है। पहले जरूरत नहीं थी,लोगों में ऐसे संस्कार होते थे कि साधु-साध्वियों का सभी सम्मान करते थे, उन पर कोई हमला नहीं करने की सोचता नहीं था, आज तो हमले हो रहे हैं, इसलिए उनकी सुरक्षा के उपाय करने के प्रयास किए जा रहे हैं।

किसी समाज की सुरक्षा के लिए सबसे अच्छा उपाय तो यही है कि सभी को अपनी सुरक्षा करना आना चाहिए। कोई हमला करे, चोट पहुंचाया चाहे तो अपने शरीर व प्राण की रक्षा कर सकें। अपने शरीर व प्राण की रक्षा करना हमारे देश में कभी हिंसा नहींं कहा गया है। अपनी रक्षा करना ताे आदमी का धर्म माना गया है। सच तो यह है कि जिसे अपनी रक्षा करना आता है,उसे अपने परिवार, समाज, देश व धर्म की रक्षा करना आता है। जो अपनी रक्षा कर सकता है,वही अपने धर्म की रक्षा कर सकता है।

प्रकृति ने सबको अपनी रक्षा करने की क्षमता दी है। सभी जीव जंतु जैसी क्षमता है, वैसे अपनी रक्षा कर लेतं है। मनुष्य समाज ने भी अपनी रक्षा के लिए कई कलाएं विकसित की हैं।हर देश में आत्मरक्षा की अपनी कला होती है, भारत में भी अपनी रक्षा करने की अनेक कलाएं है। मनुष्य के लिए जो आसान है, वह सीख सकता है और अपनी रक्षा कर सकता है।अब महात्मा गांधी का दौर नहीं रहा, न हीं वैसे लोग बचे हैं जो एक गाल पर थप्पड़ मारने पर दूसरा गाल आगे कर दें और मारने वाला शर्मिंदा हो जाए।

अब राहुल गांधी का दौर है जो कहते हैं कि आपको अपनी रक्षा करना इस तरह आना चाहिए कि कोई आप को एक थप्पड़ न मार सके। राहुल गांधी कहते हैं कि हमारे देश के लोगों को जिउ-जित्सू,ऐकिडो,अहिंसक समाधान टेक्निक के मिश्रण से जेंटल आर्ट आना चाहिए,नहीं आता है तो सीखना चाहिए।यह वक्त है हर किसी को अपनी सुरक्षा करना आना चाहिए। इसके लिए समाज,सरकार को लोगों को आत्म रक्षा का प्रशिक्षण स्कूल में देना चाहिए और सीखना अनिवार्य करना चाहिए। ऐसा करने पर ही परिवार, समाज. देश व धर्म सुरक्षित रह सकेगा।

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