छग में मनरेगा कार्य का टारगेट टॉप करने वाले जिले में 3 महीने से मजदूरों का रुका भुगतान
भाजपा शासन आने के बाद कई महीनो से रुका मनरेगा के मजदूरों का भुगतान
मनरेगा के नियम में 15 दिवस के भीतर होना चाहिए मजदूरी भुगतान
सारंगढ़ बिलाईगढ़ जिले में रुके मजदूरी भुगतान पर विपक्ष की चुप्पी
यह पहला अवसर जब कई महीनो से रुका मजदूरों का भुगतान
सारंगढ़ । महात्मा गांधी रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा योजना) देश की सबसे बड़ी योजना है जो ग्रामीण व शहरी क्षेत्रों में प्रत्येक जरूरतमंद मजदूर को 100 दिन का रोजगार उपलब्ध कराती है।
जो ग्रामीण अंचल में मजदूरों को काम की गारंटी देता है सही मायने में कहा जाए तो गांव की मूलभूत समस्याओं का मूल समाधान एवं विकास कार्य मनरेगा कार्यो के तहत संभव हो पता है। मनरेगा योजना में जहां गांव के मजदूरों को 100 दिन के रोजगार की गारंटी होती है वही उनकी मजदूरी का भुगतान 15 दिवस के भीतर किए जाने के नियम है। नवीन जिला सारंगढ़ बिलाईगढ़ में मनरेगा योजना के अंदर दिए गए टारगेट को पूरे छत्तीसगढ़ में टॉप में रहने वाले जिले के मजदूर आज लगभग ढाई से तीन महीने बीत जाने पर भी उन्हें मजदूरी का भुगतान नहीं मिल पाया है। छत्तीसगढ़ प्रदेश में सरकार परिवर्तन के बाद भाजपा शासन काल में यह ऐसा पहला अवसर है जब सारंगढ़ अंचल में मजदूरों का भुगतान इतने लंबे समय से अटका है।
सूत्रों की माने तो स्थानीय स्तर पर भुगतान से संबंधित समस्त प्रपत्र भेजे जा चुके हैं उसके बाद भी लंबे समय से मजदूरों का भुगतान रुकना उक्त योजना को त्रिशंकु बनाने जैसा है। ग्रामीण क्षेत्रों में भीषण गर्मी के चिलचिलाते धूप में पसीना बहाकर ग्रामवासी मजदूरी काम करके लगभग 246 नगद राशि पाने की सप्ताह भर से आस लगाए रहते हैं जिससे उनके दिन का गुजारा चलता है मगर यहां तो महीना इंतजार के बाद भी पसेरी की कमाई के लिए मजदूर आस लगाए टकटकी बांधे बैठे हैं। क्या इन मजदूरों के भुगतान पर सरकारी तंत्र उचित पहल करेगा या फिर मनरेगा के तहत मजदूरों के साथ गांव में जाकर फोटो खींचने तक ही सीमित रहेगा ?
जन समस्याओं पर विपक्ष की चुप्पी – सारंगढ़ जनपद पंचायत में वैसे तो पक्ष और विपक्ष का आमने – सामने होना बा मुश्किल है। जन चर्चा की माने तो सारंगढ़ जनपद में कांग्रेस की सरकार के विपक्ष भाजपाइयों की बोलती बंद हो जाती है या यूं कहें मुद्दा छोटा हो या बड़ा भाजपा शिकवा शिकायत तक ही मशगूल रहती है।