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अटल बिहारी वाजपेयी विश्वविद्यालय फूड प्रोसेसिंग विभाग की योजना के इस पहल से स्थानीय उत्पादकों को बढ़ावा मिलने के साथ-साथ छत्तीसगढ़ी संस्कृति को नई पहचान मिलेगी। फूड प्रोसेसिंग विभाग के प्राध्यापकों की मानें तो इस परियोजना का उद्देश्य छत्तीसगढ़ के पारंपरिक व्यंजनों को राष्ट्रीय बाजार में स्थापित करना है।
बिलासपुर। छत्तीसगढ़ की पारंपरिक व्यंजनों की महक और स्वाद अब देशभर में फैलने जा रही है। अटल बिहारी वाजपेयी विश्वविद्यालय के फूड प्रोसेसिंग एवं टेक्नोलाजी विभाग ने स्थानीय व्यंजनों को राष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाने के उद्देश्य से एक विशेष पहल की है। इस पहल के तहत परंपरागत अचार, बड़ी और बिजौरी जैसे स्वादिष्ट व्यंजनों को न केवल तैयार किया जाएगा, बल्कि आकर्षक पैकेजिंग के जरिए देश के कोने-कोने में पहुंचाने का भी प्रयास किया जा रहा है।
मुख्य लक्ष्य:देश के हर कोने में इसकी खुशबू पहुंचे
मुख्य लक्ष्य है कि छत्तीसगढ़ी अचार, बड़ी और बिजौरी को इस तरह से प्रस्तुत किया जाए कि देश के हर कोने में इसकी खुशबू पहुंचे। इसके लिए हमारे छात्र-छात्राएं और प्राध्यापक विशेष पैकेजिंग तकनीकों पर काम कर रहे हैं। ताकि गुणवत्ता के साथ-साथ स्थानीय पहचान भी बनाए रखी जा सके।
बाजार में उतारने की योजना
पारंपरिक स्वाद का खास महत्व है, खासकर सर्दियों के मौसम में इनका निर्माण और खपत ज्यादा होती है। यही वजह है कि इस सीजन में इन्हें तैयार कर नए साल के अवसर पर बाजार में उतारने की योजना बनाई जा रही है। इन उत्पादों को तैयार करने में स्थानीय सामग्री और पारंपरिक विधियों का उपयोग किया जाएगा। जिससे इनके स्वाद और गुणवत्ता में छत्तीसगढ़ी मूल तत्व बरकरार रहेगा।
छात्रों को व्यावसायिक प्रशिक्षण का लाभ: प्रो.सौमित्र
फूड प्रोसेसिंग विभाग के प्राध्यापक प्रो. सौमित्र तिवारी ने कहा कि इस प्रयास से छात्रों को व्यावसायिक प्रशिक्षण का भी लाभ मिलेगा। वे विभिन्न व्यंजनों की पैकेजिंग और मार्केटिंग के पहलुओं को समझने का मौका पाएंगे। इससे न केवल उनकी व्यावहारिक ज्ञान में वृद्धि होगी, बल्कि उनके रोजगार के अवसर भी बढ़ेंगे। इस पहल के तहत छात्रों को विशेष पैकेजिंग तकनीकों का प्रशिक्षण दिया जा रहा है ताकि उत्पाद की गुणवत्ता को संरक्षित किया जा सके और ग्राहकों के बीच इसे आकर्षक ढंग से प्रस्तुत किया जा सके।
बायोडिग्रेडेबल व इको-फ्रेंडली
खास बात यह है कि पैकेजिंग के दौरान पर्यावरण को ध्यान में रखते हुए बायोडिग्रेडेबल और इको-फ्रेंडली सामग्रियों का उपयोग किया जा रहा है। यह पहल छत्तीसगढ़ के छोटे किसानों और उत्पादकों के लिए भी एक सुनहरा अवसर होगा। इन उत्पादकों से सामग्री जुटाने के साथ-साथ उन्हें इसके मूल्यवर्धन के लाभ भी प्राप्त होंगे। छत्तीसगढ़ के ग्रामीण और स्थानीय उत्पादकों को सीधा फायदा मिलेगा और उनकी आय में वृद्धि होगी।