आदिवासी दिवस पर कार्यक्रम आयोजित नहीं करने पर भड़के पीसीसी चीफ, सीएम को पत्र लिखकर कही ये बात

रायपुर। आदिवासी संस्कृति और सभ्यता को और सशक्त बनाने के लिए हर साल 9 अगस्त को विश्व आदिवासी दिवस मनाया जाता है। यह दिन दुनिया भर के करीब 90 से अधिक देशों में निवास करने वाले जनजाति आदिवासियों को समर्पित है, जिसका मुख्य उद्देश्य आदिवासियों के अधिकारों और अस्तित्व के संरक्षण के लिए जागरूकता फैलाना है। लेकिन, छत्तीसगढ़ में इस बार आदिवासी दिवस को कोई सरकारी प्रोग्राम आयोजित नहीं किया गया। इस मामले को लेकर पीसीसी चीफ दीपक बैज ने CM विष्णुदेव साय को पत्र लिखा है।
PCC चीफ दीपक बैज ने पत्र में लिखा, कि आज आदिवासी दिवस को कोई सरकारी प्रोग्राम नहीं किया है। आपको विश्व आदिवासी दिवस की बधाई और शुभकामनायें। जब आप छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री बने थे पूरे आदिवासी समाज को प्रसन्नता हुई थी कि आदिवासी समाज से प्रदेश का मुख्यमंत्री बनाया गया है।
8 महीने की आपकी सरकार में आदिवासियों के ऊपर हो रहे अत्याचार, उपेक्षा से आज पूरा समाज आहत है। बस्तर एक बार फिर से आदिवासी नक्सलवादी तथा सुरक्षाबलो के दो पाटों के बीच पीसे जा रहे है। पिछले पांच वर्षों में फर्जी मुठभेड़ में आदिवासियों की जो हत्यायें रूक गयी थी, आपके राज में फिर से शुरू हो गयी।
दीपक बैज ने आगे लिखा, कि बीजापुर, नारायणपुर, कांकेर में ग्रामीणों ने निर्दोष आदिवासियों की मुठभेड़ में हत्याओं का मामला उठाया। लेकिन, आपकी सरकार ने उसकी जांच कराना भी जरूरी नहीं समझा। निर्दोष आदिवासियों को नक्सली बताकर जेल में डालने का दौर एक बार फिर से शुरू हो गया है। बेहद दुखदायी है कि पिछले 8 माह में राज्य में डायरिया और मलेरिया से आदिवासियों की मौते हो रही है।
संरक्षित जनजाति बैगा और पहाड़ी कोरवा समुदाय के अनेकों लोगों की मौत मलेरिया, डायरिया से हो गयी है। मन व्यथित हो जाता है जब आपकी सरकार और पूरा तंत्र इन मौतों को रोकने ठोस उपाय करने के बजाय मौतों को नकारने में लग जाता है तब ऐसा महसूस ही नहीं होता कि हमारे ही समुदाय का व्यक्ति सरकार का मुखिया है।
PCC चीफ ने लिखा कि, आपके राज में बस्तर का आदिवासी रायपुर में भी सुरक्षित नहीं है। राजधानी में आदिवासी बच्चे को पीट-पीटकर मार डाला गया। बस्तर के लोहंडीगुड़ा में रहने वाला 21 साल का मासूम बच्चा मंगल मौर्य (मुरिया) का कसूर क्या था? उसने पढ़ाई करने नया रायपुर के एक निजी महाविद्यालय में प्रवेश लिया था। उसका सिर्फ इतना ही कसूर था कि वह मासूम आदिवासी था।
उसने मासूमियत से रास्ता पूछा था, लिफ्ट मांगा था उसको सरेआम गाड़ी में बैठा कर ले जाया गया पीट-पीट कर मार डाला गया। हत्यारो ने उसका एटीएम कार्ड छिन लिया। पिन मांग रहे थे, वह गरीब आदिवासी का बच्चा पिन नहीं बताया तो मार डाला। क्या यही है कानून का राज जहां पर रास्ता पूछने पर एक आदिवासी छात्र को राजधानी में मार डाला गया।
आदिवासियों को 32% आरक्षण का लाभ दिलाने छत्तीसगढ़ विधानसभा में सर्वसम्मति से पारित आरक्षण विधेयक विगत डेढ़ वर्षों से राजभवन में लंबित है। आप उस पर भी मौन है। आपकी सरकार ने शहीद महेन्द्र कर्मा तेंदूपत्ता संग्राहक बीमा योजना भी दुर्भावनापूर्वक बंद कर दिया है। आपकी सरकार ने इसका कोई विकल्प भी नहीं दिया, तेंदूपत्ता श्रमिक आज बीमाहीन है। पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार के द्वारा चलाये जा रहे अभियान को आपने दुर्भावनापूर्वक बंद कर दिया है, इसका सर्वाधिक नुकसान आदिवासी बच्चों और महिलाओं को उठाना पड़ रहा है।
आपके मुख्यमंत्री बनने के तुरंत बाद जब हसदेव जंगल की कटाई शुरू हो गई तो यह आदिवासी समाज के लिये बहुत ही निराशाजनक था। एक आदिवासी मुख्यमंत्री अपने जंगल, अपने लोगों, अपनी परंपरा की रक्षा नहीं कर पा रहा। विश्व आदिवासी दिवस के दिन आपके शासनकाल में कोई शासकीय कार्यक्रम नहीं होना यह बताता है कि आपकी नाक के नीचे आदिवासी अस्मिता को दबाने का षड्यंत्र सफल हो रहा है।
इस पत्र को लिखने की मेरी मंशा मात्र इतनी है कि इस आदिवासी बहुल प्रदेश का आदिवासी अपने आप को असहाय महसूस कर रहा है। कहने को तो प्रदेश का मुखिया आदिवासी है। लेकिन, वह आदिवासियों को ही सुरक्षित नहीं रख पा रहा। आपके राज में आदिवासी समाज अपने को ठगा महसूस कर रहा है।