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आखिर क्यों मजार के सामने रुक जाते हैं भगवान जगन्नाथ के रथ के पहिए?, जानें क्या है इसके पीछे की वजह

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पुरी। ओडिशा के पुरी में स्थिति भगवान जगन्नाथ का मंदिर हिंदुओं के चार धाम में से एक है। इस साल 7 जुलाई से पुरी जगन्नाथ रथ यात्रा शुरू हो रही है। हर साल आषाढ़ महीने में ओडिशा के पुरी में स्थित भगवान जगन्नाथ मंदिर से भव्य शोभा रथयात्रा निकाली जाती है। जगन्नाथ रथ यात्रा में भगवान जगन्नाथ यानी श्रीकृष्ण, उनके भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा को सुंदर वस्त्रों में सुसज्जित करके रथ यात्रा निकाली जाती है।

रथ यात्रा को देखने को बड़ी संख्या में भक्तों की भीड़ उमड़ती है। लेकिन ये बात बहुत कम लोग ही जानते हैं कि जब भी भगवान का रथ नगर भ्रमण के लिए निकलता है तो उसके पहिये एक मजार के सामने आकर रुक जाते हैं। लेकिन यह बात सभी को हैरान करती है कि आखिर जगत के पालनहार का रथ एक मजार के सामने क्यों रुक जाता है?

मजार पर क्यों रुकता है रथ
दरअसल, मान्यता है कि सालबेग नाम का एक मुस्लिम व्यक्ति भगवान जगन्नाथ का बहुत बड़ा भक्त था। भगवान के प्रति उसकी श्रद्धा अपार थी, लेकिन वो मंदिर में प्रवेश नहीं कर पाते थे। जिसके बाद सालबेग काफी दिन वृंदावन भी रहे और रथ यात्रा में शामिल होने ओडिशा आए तो बीमार पड़ गया। इसके बाद सालबेग ने भगवान को पूरे मन से याद किया और एक बार दर्शन की इच्छा जताई।

इस पर भगवान जगन्नाथ खुश हुए और उनका रथ खुद ही सालबेग की कुटिया के सामने रुक गई। वहां भगवान ने सालबेग को पूजा की अनुमति दी। सालबेग की भक्ति स्वीकार करने के बाद ही भगवान जगन्नाथ का रथ आगे बढ़ा था। तब से लेकर अब तक यह परंपरा चली आ रही है।

क्यों निकाली जाती है यात्रा
रथ यात्रा की खास बात ये है कि भगवान जगन्नाथ का रथ सबसे पीछे चलता है उनकी छोटी बहन सुभद्रा का रथ बीच में और बड़े भाई बलराम का रथ सबसे आगे चलता है। तीनों भाई बहन अपनी मौसी के घर घूमने मौसी बाड़ी जाते हैं। कहा जाता है कि भगवान जगन्नाथ की छोटी बहन सुभद्रा ने एक बार नगर में घूमने की इच्छा जाहिर की थी,

जिसके बाद भगवना जगन्नाथ अपने बड़े भाई के साथ छोटी बहन को लेकर नगर घुमाने निकले थे। इस दौरान वह अपनी मौसी के घर भी गए थे। वहां पर वह 7 दिन तक रुके थे। उसी मान्यता के मुताबिक रथ यात्रा का आयोजन पुरी में हर साल बहुत ही धूमधाम से किया जाता है।

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