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सारंगढ़ का गढ़ विच्छेदन महाउत्सव रहा ऐतिहासिक

राजा पुष्पा सिह ने शांति का दिया संदेश, अजय हुए विजयी

सारंगढ़ न्यूज़/ आज ऐतिहासिक विजयादशमी पर्व बड़े धूमधाम से मनाया गया। गण उत्सव के गढ़ विच्छेदन में गढ़ परंपरा के अनुरूप गढ़ फतह करते हुए अंततः अजय विजयी रहे। वही विजय जुलूस के साथ राज दरबार पहुंचकर 1100, नगद एवं एक धोती के साथ राज दरबार में उसका सम्मान किया गया। जिन्हें वीर की उपाधि दी गई ।

हर वर्ष की भांति इस वर्ष भी नगर का ऐतिहासिक गौरवशाली गढ़ विच्छेदन उत्सव को देखने गांव गांव से हजारों की भीड़ उमर पड़ी। पूरे राज परिवार का यह पुराना परपरा आज भी बरकरार है । वही दशहरा गढ़ विच्छेदन उत्सव सैकड़ों वर्षो से चली आ रही है। गढ़ विच्छेदन की अनूठी परंपरा दशहरा पर्व के दिन राजपरिवार द्वारा बड़े धूमधाम से नगर के स्थानीय खेलभांठा मैदान गढ़ चौक में बड़े उत्साह के साथ मनाया गया। उक्त उत्सव में विजय होने वाले अजय का सम्मान हुआ उसे वीर की उपाधि दी गई। 20 से 25 फीट रावण के पुतले का दहन किया गया। वहीं उत्सव को देखने के लिए नगर सहित ग्रामीण क्षेत्रों से लगभग 10 हजार से भी अधिक संख्या में भीड़ जमा हुयी थी हर बार की तरह इस बार भी 20 से 25 फीट ऊॅंचा चिकना टिला बनाया गया था, इस गढ़ नुमा टिला में सेनाओं का प्रतीकात्मक युद्ध होता रहा सभी प्रतिभागी एक दूसरे को तिल के ऊपर चढ़ने से रोकते रहे। सारंगढ़ राजा पुष्पादेवी सिंह के नेतृत्व में उनकी सेना गढ़ टिले के उपर चढ़ाई करती है लकड़ी के नुकीले गिल नुमा छोटे लकड़ी से मिट्टी के टीले की खुदाई कर एक दूसरे को पछाड़ते हुए उपर की ओर चढ़ते है। जहां चार प्रहरी लकड़ी का हथियार लिये प्रतिभागियों को उपर से मारकर नीचे गिराते है। नीचे 3 से 4 फीट की गहराई में पानी भरा होता है और उस पर प्रतिभगियों गिरते है। इसमें 20 से 30 लोग हिस्सा लेकर चढ़ाई करते है और साथ ही उनके पीठ पर नंबरो का लेखा होता है, जिसमें आज विजयी हुए अजय ने अपनी जीत हासिल कर विजय प्राप्त किया और टिले के उपर ध्वज लहराया। जिसे राजपरिवार द्वारा नकद राशि1100/-रूपये के साथ प्रमाण-पत्र , धोती के साथ पुरस्कृत दिया गया और विजयी जुलूस के साथ राज दरबवार पहुंचा गया कर उसे सम्मानित किया गया।

उक्त कार्यक्रम के शंखनाद में राज परिवार से राजा पुष्पा देवी सिंह पूर्व सांसद ने लोगों को शुभकामनाएं प्रेषित करते हुए शांति का संदेश दिया, सारंगढ़ आंचल वासियों के लिए सुख समृद्धि की प्रार्थना की और कार्यक्रम को शुभारंभ करने की अनुमति प्रदान की। उनके साथ राज परिवार से डॉक्टर परिवेश मिश्रा उनकी सुपुत्री कुलिशा मिश्रा राज पुरोहित शशिकांत तिवारी मंच पर आसीन रहे। मंच पर जिले के कलेक्टर डॉ संजय कन्नौजे भी आसीन रहे जो उक्त गढ़ उत्सव और राज परिवार के रीति नियमों एवं ऐतिहासिक परंपरा के साक्षी बने। गढ़ प्रहरी के रूप में किशोर यादव, नरेश गुप्ता, अश्विनी चंद्र, जीतू गुप्ता, मोती पटेल, कमल यादव, चीनू, नावेद, सोमू, धनेश, रामसिंह राकेश रहे तथा मंच पर उत्तरी जांगड़े जी, घनश्याम मनहर, नंदकिशोर गोयल, सूरज तिवारी, गोल्डी नायक, रामनाथ सिदार, मितेंद्र यादव, घनश्याम बंसल, राजकमल अग्रवाल तथा महिलाएं आसीन रही। मंच का सफल संचालन स्व गुरु जी गोपाल स्वर्णकार जी के पुत्र अमन स्वर्णकार और अंकुश स्वर्णकार ने हमेशा किया। मंच पर अधिकारी कर्मचारी गणमान्य नागरिक मीडिया और प्रबुद्ध जन की उपस्थिति रही। गढ़ उत्सव कार्यक्रम के पश्चात गिरी विलास पैलेस में विधि विधान से पूजा अर्चना के पश्चात राजतिलक का कार्यक्रम संपन्न हुआ। पूरे कार्यक्रम में पुलिस प्रशासन की बहुत ही
सक्रिय भूमिका रही।

पूर्व में पधार चुके है बड़ी बड़ी हस्ती इस गढ़ महोत्सव में — नगर का ऐतिहासिक दशहरा महोउत्सव में कई महान हस्तियों ने शिरकत की थी। जिनमें से सारंगढ़ राजपरिवार के पूर्व राजा स्व. राजा नरेशचन्द्र सिंह अविभाजित मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री रह चुके है। आमंत्रण पर मध्यप्रदेश के प्रथम मुख्यमंत्री स्व. रविशंकर शुक्ला जी एवं मध्यप्रदेश के प्रथम राज्यपाल माननीय पटटाभि सीता रमैश्या, म.प्र. के राज्यपाल के.पी. रेड्डी एवं उनकी पत्नी श्रीमती रेड्डी, डॉ. कैलाश नाथ काटजू भारत सरकार के गृहमंत्री एवं म.प्र. के पूर्व मुख्यमंत्री भगतराव मड़ोई म.प्र. के पूर्व मुख्यमंत्री जैसे कई विभितियों ने शिरकत की। वही भारत सरकार के विमानन मंत्री लाल बहादुर शास्त्री भी आये।

गौरतलब हो कि दशहरा पर्व के सांस्कृतिक कार्यक्रम में पूर्व में फुलझरीयापारा मैदान में प्रसिद्ध गायक हेमन्त कुमार एवं उस्ताद बिस्मिल्ला खां रायगढ से बैलागाड़ी में आये थे, जिस बात का जिक्र रायगढ़ चक्रधर समारोह में आये खां साहब ने किया था।

हर वर्ष की भांति इस वर्ष भी रावण का किया गया दहन –

नगर से 4 कि.मी. दूर ग्राम पंचायत कोतरी के गोस्वामी परिवार द्वारा हर वर्ष की भांति इस वर्ष भी सारंगढ़ के इस गौरवशाली गढ़ उत्सव के समापन में होने वाले रावण दहन का पुतला को वर्षो से तैयार करते आ रहे है। यह परंपरा लगभग सैकड़ों सालों सेेे चली और उनके द्वारा हर वर्ष 40 से 50 फीट का रावण पुतला भी बनाया जाता है। इस वर्ष भी उन्ही के द्वारा 30 से 40 से फीट का रावण का पुतला बनाया गया था। । लेकिन उनके द्वारा वर्षो पुरानी परंपरा जो गढ़ विच्छेदन उनके पूर्वजों के जमाने से चली आ रही थी, उस परंपरा को बरकरार रखा गया।गढ़ विच्छेदन के साथ रावण दहन किया गया।

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