NEET में किसने किया चीट? 23 लाख छात्रों के भविष्य पर लगा प्रश्नवाचक चिन्ह
NTA के डायरेक्टर जनरल सुबोध कुमार सिंह ने 8 जून को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की और कहा कि एक समिति NEET में हुई गड़बड़ी की जांच करेगी और अगले 7 दिनों में अपनी रिपोर्ट पेश कर सकती है.
चोरी हो गई मेरी सीट वी वॉन्ट री-नीट’. 23 लाख 33 हजार छात्रों के मन में अभी यही नारा गूंज रहा है. दरअसल, ये संख्या उन छात्रों की है जो NEET 2024 की परीक्षा में शामिल हुए थे. 4 जून को जब देश का नसीब ईवीएम और बैलेट बॉक्स में पड़े वोटों की गिनती से निर्धारित हो रहा था,
तब उसी वक्त दूसरी ओर इन छात्रों का नसीब भी ओएमआर शीट के आधार पर तैयार हो रहा था. लेकिन अब इसी OMR शीट की जांच, टॉपरों की संख्या और उन्हें मिले 100 प्रतिशत नंबरों की वजह से 23 लाख छात्रों के भविष्य पर प्रश्नवाचक चिन्ह लग गया है.
पूरा मामला क्या है?
नेशनल इलिजिबिलिटी कम इंट्रेस टेस्ट यानी NEET, इस बार की परीक्षा में 67 ऐसे छात्र हैं जिन्हें पहला स्थान हासिल हुआ है. यानी उन्हें पूरे 100 फीसदी नंबर मिले हैं. 720 में पूरे 720 नंबर. सबसे बड़ी बात कि टॉप करने वाले 67 बच्चों में से 6 बच्चे ऐसे हैं जिन्होंने एक ही परीक्षा केंद्र पर परीक्षा दी है,
जो कि हरियाणा के झज्जर में है. वहीं इस परीक्षा में कुछ बच्चों के नंबर 718 और 719 आए हैं, जो परीक्षी की स्कीम के लिहाज से गणितीय रूप से बिल्कुल भी मुमकिन नहीं है.
दरअसल, इस परीक्षा में एक सवाल सही होने पर छात्र को 4 अंक मिलते हैं. वहीं किसी सवाल का गलत जवाब देने पर मिले हुए अंकों में से एक अंक काट लिया जाता है.
अब मानिए कि किसी छात्र ने सभी सवालों के जवाब लिखे जिसमें सिर्फ एक जवाब गलत हुआ तो उसे 715 नंबर मिलेंगे. अब ऐसे में सवाल उठ रहा है कि फिर किस आधार पर और किस गणित से कुछ छात्रों को 718 और 719 नंबर मिले हैं.
इसके अलावा सवाल इस बात पर भी उठ रहा है कि जब नीट का रिजल्ट 14 जून को घोषित होना था तो इसे 4 जून को क्यों घोषित किया गया? क्या ऐसा जान बूझ कर इसलिए किया गया ताकि लोगों का ध्यान चुनाव के परिणामों पर टिका रहे और नीट के रिजल्ट पर कोई बात ना हो? ये बड़े सवाल हैं, जिनका जवाब शायद भविष्य में मिल जाएगा.
ओएमआर शीट की गलत जांच
ये मामला मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल से सामने आया है. यहां की रहने वाली निशिता सोनी ने जब अपना रिजल्ट देखा तो वो हैरान रह गईं. उन्हें 340 नंबर मिले थे. जबकि, निशिता का दावा है कि उन्हें 617 अंक मिलने चाहिए थे. दरअसल, रिजल्ट के साथ अब छात्र की ओएमआर शीट भी आती है,
जिससे छात्र अपने अंकों को फिर से जांच सके. निशिता ने जब अपना ओएमआर शीट चेक किया तो पता चला कि उसने कुल 200 सवालों में से 178 सवालों का जवाब दिया था. इसमें 159 सवालों के जवाब सही थे और 19 के गलत. ऐसे में निशिता को कुल 617 नंबर मिलने चाहिए थे. हालांकि, रिजल्ट में निकिता को 340 अंक दिए गए हैं. अब निशिता इस मामले को लेकर जबलपुर हाईकोर्ट पहुंची हैं
पेपर लीक का शक क्यों?
5 मई 2024 को जब देश भर में नीट की परीक्षा का आयोजन हो रहा था, उसी वक्त पटना पुलिस को जानकारी मिली की नीट यूजी परीक्षा का प्रश्न पत्र लीक कराने की कोशिश की जा रही है.
6 मई को बिहार पुलिस ने इस पर कार्रवाई करते हुए, 13 अभियुक्तों को न्यायिक हिरासत में लिया था और उनसे पूछताछ हुई थी.
हालांकि, पेपर लीक को लेकर पुलिस ने कुछ भी स्पष्ट नहीं कहा था. उस वक्त एबीपी न्यूज से इस पूरे मामले में पटना के एसएसपी राजीव मिश्रा ने कहा था कि पेपर लीक हुआ या नहीं ये संवेदनशील विषय है.
इस समय इस पर निष्कर्ष देना सही नहीं होगा, क्योंकि ये 24 लाख परीक्षार्थियों के भविष्य से जुड़ा अति संवेदनशील बिंदु है.
कोचिंग संस्थान भी नाराज
छात्रों के साथ-साथ देश में बड़े-बड़े कोचिंग संस्थान चलाने वाले शिक्षक भी अब नीट के रिजल्ट से नाराज दिख रहे हैं. फिजिक्स वाला के संस्थापक अलख पांडे ने इस मुद्दे पर मुखरता से अपनी बात रखी है और उन्होंने सोशल मीडिया पर एक वीडियो शेयर करते हुए कहा है
कि वह नीट के रिजल्ट की गड़बड़ियों को लेकर अब नेशनल टेस्टिंग एजेंसी को एक लीगल नोटिस भेजेंगे. वहीं मोशन एजुकेशन नाम की संस्था चलाने वाले नितिन विजय भी इस रिजल्ट से नाराज हैं और सोशल मीडिया पर इसके खिलाफ मुहिम चला रहे हैं. इसके अलावा वो सुप्रीम कोर्ट भी जाने की बात कर रहे हैं.
जूनियर डॉक्टर्स की मांग
इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) जूनियर डॉक्टर्स नेटवर्क ने NEET में कथित अनियमितताओं की CBI से जांच कराने की मांग की है और एनटीए के अध्यक्ष प्रदीप कुमार जोशी को एक पत्र लिखा है.
इसमें डॉक्टरों के संगठन ने सभी छात्रों के लिए एक निष्पक्ष और पारदर्शी मूल्यांकन प्रक्रिया सुनिश्चित करने के लिए दोबारा नीट की परीक्षा कराने का भी अनुरोध किया है.
छात्रों का आंदोलन
उत्तर प्रदेश जो हमेशा सही उत्तर देने के लिए जाना जाता है, वहां के छात्रों ने नीट परीक्षा के परिणामों में हुए घालमेल को लेकर प्रदर्शन करना शुरू कर दिया है. वाराणसी से लेकर कानपुर तक छात्रों को हुजूम सड़कों पर धीरे-धीरे निकल रहा है.
शुक्रवार को कानपुर में छात्रों की एक बड़ी संख्या ने नीट परीक्षा के परिणामों में धांधली और गड़बड़ी का आरोप लगाकर जोरदार प्रदर्शन किया.
वहीं दूसरी ओर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की संसदीय सीट वाराणसी में भी छात्रों का प्रदर्शन जारी है. वहां के छात्र नीट परीक्षा के रिजल्ट में गड़बड़ी का आरोप लगाते हुए इसे निरस्त करने की मांग कर रहे हैं.
उनका साफ कहना है कि नीट परीक्षा के परिणामों में धांधली और गड़बड़ी हुई है, इस वजह से इसकी जांच हो और नीट की परीक्षा फिर से कराई जाए
क्या फिर से परीक्षा कराई जा सकती है?
ऐसा नहीं है कि नीट की परीक्षा अगर दोबारा कराई जाएगी तो ऐसा पहली बार होगा. साल 2015 में जब MBBS और BDS एडमिशन के लिए नेशनल लेवल मेडिकल प्रवेश परीक्षा AIPMT यानी ऑल इंडिया प्री मेडिकल टेस्ट हुआ था, तब उस समय भी पेपर लीक की खबरें आईं थीं.
उस वक्त आरोप ये लगा था कि कुछ छात्रों को एग्जाम सेंटर पर इलेक्ट्रॉनिक डिवाइसों से पहले ही प्रश्नों के उत्तर भेज दिए गए थे. जब ये मामला कोर्ट पहुंचा तो सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मेडिकल एंट्रेंस एग्जाम कैंसिल किया जाएं और परीक्षा 4 हफ्ते में दोबारा से ली जाए. अब इस बार सुप्रीम कोर्ट क्या फैसला करेगा ये देखने वाली बात होगी.
NTA का जवाब क्या है?
नेशनल टेस्टिंग एजेंसी ने इन तमाम सवालों का जवाब देते हुए 6 जून को एक प्रेस रिलीज जारी किया. इसमें एनटीए ने कहा कि कुछ छात्रों को 718 या 719 नंबर इसलिए मिले हैं, क्योंकि उन्हें ग्रेस मार्क्स दिए गए हैं. ऐसा इसलिए किया गया क्योंकि उन्हें परीक्षा केंद्र पर कम वक्त मिला था. वहीं जिन छात्रों को 720 में 720 नंबर मिले,
उन पर एनटीए ने कहा कि ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि इन छात्रों को फिजिक्स के एक प्रश्न के उत्तर के लिए रिविजन मार्क्स दिए गए हैं. जल्दी रिजल्ट जारी करने पर एनटीए ने जवाब दिया कि जल्द से जल्द परिणाम घोषित करना एक तय प्रक्रिया है और इस बार एनटीए ने ये काम 30 दिनों के भीतर किया है.
वहीं इसके बाद 8 जून को नेशनल टेस्टिंग एजेंसी ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की और उसमें एनटीए के डायरेक्टर जनरल सुबोध कुमार सिंह ने कहा कि यूपीएससी के पूर्व अध्यक्षों और शिक्षाविदों की समिति नीट में हुई गड़बड़ी की जांच करेगी और अगले 7 दिनों में ये समिति अपनी रिपोर्ट पेश कर सकती है.
हालांकि, ये जांच पूरे मामले की नहीं होगी, बल्कि कथित गड़बड़ी की जांच केवल 6 सेंटर और 1600 उम्मीदवारों तक सीमित रहेगी. हालांकि, एनटीए ने इस पर कोई जवाब नहीं दिया कि आखिर रिजल्ट की घोषणा करने के लिए 4 जून जैसा दिन ही क्यों चुना गया, जब लोकसभा के परिणाम आने थे.