NATIONAL

Shinkun Tunnel: PM मोदी करने जा रहे टनल का पहला विस्फोट, अब चीन की खैर नहीं, शिंकुन टनल की क्या है खासियत, जानिए

प्रधानमंत्री मोदी ने एक ऐसा कदम उठाया है, जिससे चीन की सकते में आ गया है. पीएम आज लद्दाख के शिंकुला दर्रे की शिंकुन टनल के कंस्ट्रक्शन का वर्चुअल विस्फोट करने वाले हैं.

लद्दाख में बन रही शिंकुन टनल

1/6
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक ऐसा कदम उठाया है, जिससे चीन की सकते में आ गया है. पीएम मोदी आज लद्दाख के शिंकुला दर्रे की शिंकुन टनल के कंस्ट्रक्शन का वर्चुअल विस्फोट करने वाले हैं.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक ऐसा कदम उठाया है, जिससे चीन की सकते में आ गया है. पीएम मोदी आज लद्दाख के शिंकुला दर्रे की शिंकुन टनल के कंस्ट्रक्शन का वर्चुअल विस्फोट करने वाले हैं.
2/6
यह टनल भारतीय सेना के लिए खास होने वाली है. इस टनल भारतीय सेना को हर मौसम में एलएसी का एक्सेस देगी. इस टनल के निर्माण से लद्दाख में साल भर सुचारू रूप से आवाजाही होगी. सेना की सभी जरूरतें, जैसे हथियार सप्लाई, खाद्य सामग्री और ईंधन हर मौसम में मिल सकेगा.
यह टनल भारतीय सेना के लिए खास होने वाली है. इस टनल भारतीय सेना को हर मौसम में एलएसी का एक्सेस देगी. इस टनल के निर्माण से लद्दाख में साल भर सुचारू रूप से आवाजाही होगी. सेना की सभी जरूरतें, जैसे हथियार सप्लाई, खाद्य सामग्री और ईंधन हर मौसम में मिल सकेगा.
3/6
शिंकुन टनल 15800 फीट की ऊंचाई पर बनाई गई है और दुनिया की सबसे लंबी टनल है. इसकी लंबाई 4.1 किलोमीटर है. यह टनल एक ट्विन-ट्यूब टनल है. यानी की दो मार्गों वाली टनल. इसका निर्माण बीआरओ द्वारा निम्मू-पदम-दारचा सड़क पर हो रहा है.
शिंकुन टनल 15800 फीट की ऊंचाई पर बनाई गई है और दुनिया की सबसे लंबी टनल है. इसकी लंबाई 4.1 किलोमीटर है. यह टनल एक ट्विन-ट्यूब टनल है. यानी की दो मार्गों वाली टनल. इसका निर्माण बीआरओ द्वारा निम्मू-पदम-दारचा सड़क पर हो रहा है.
4/6
रणनीतिक रूप से भी देश भारत-चीन की सीमा पर फोकस कर रहा है. कुछ दिनों पहले अरुणाचल प्रदेश में बालीपारा-चारिद्वार-तवांग मार्ग पर 825 करोड़ रुपए की लागत से सेला सुरंग बनाई गई थी. यह सुरंग 13000 फीट से भी अधिक की ऊंचाई पर बनाई गई.
रणनीतिक रूप से भी देश भारत-चीन की सीमा पर फोकस कर रहा है. कुछ दिनों पहले अरुणाचल प्रदेश में बालीपारा-चारिद्वार-तवांग मार्ग पर 825 करोड़ रुपए की लागत से सेला सुरंग बनाई गई थी. यह सुरंग 13000 फीट से भी अधिक की ऊंचाई पर बनाई गई.
5/6
युद्ध की स्थिति में यह सुरंग न केवल आसानी से आवाजाही के लिए महत्वपूर्ण होगी बल्कि युद्ध के समय हथियारों मिसाइलों और ईंधन के भूमिगत भंडारण के लिए भी उपयोग में आ सकती है.
युद्ध की स्थिति में यह सुरंग न केवल आसानी से आवाजाही के लिए महत्वपूर्ण होगी बल्कि युद्ध के समय हथियारों मिसाइलों और ईंधन के भूमिगत भंडारण के लिए भी उपयोग में आ सकती है.
6/6
दुश्मनों से आसानी से निपट जाए इसको लेकर भारत सरकार पिछले 5 सालों से लगातार डेवलपमेंट पर ध्यान दे रही है. 2019 में चीन के साथ गलवान में झड़प हुई थी, जिसके बाद से ही टनल बनाने के ऊपर जोर दिया जा रहा है.
दुश्मनों से आसानी से निपट जाए इसको लेकर भारत सरकार पिछले 5 सालों से लगातार डेवलपमेंट पर ध्यान दे रही है. 2019 में चीन के साथ गलवान में झड़प हुई थी, जिसके बाद से ही टनल बनाने के ऊपर जोर दिया जा रहा है.

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button