
समाज के हर वर्ग के लिए शिक्षक प्रेरणा का स्रोत है – प्रेम सागर नायक
बरमकेला । बरमकेला के अघरिया सदन में सेवानिवृत शिक्षक सम्मान समारोह प्राथ. शाला बम्हनीपाली, प्राथ. शाला खिचरी, संकुल केंद्र. लोधिया एवं पूर्व. माध्यमिक. शाला डभरा, विकास खण्ड स्त्रोत केन्द्र बरमकेला, स्वामी आत्मानंद शास अंग्रेजी माध्यम विद्यालय बरमकेला के तत्वाधान में किया गया।
इस कार्यक्रम की मुख्य अतिथि प्रेम सागर नायक, विशिष्ट अतिथि यशोदा प्रेम नायक एवं विशेश्वर लाल नायक की अध्यक्षता में संपन्न हुआ।
रायगढ़ से समग्र शिक्षा अधिकारी, विकास खंड शिक्षा अधिकारी, जिला नोडल समग्र शिक्षा अधिकारी, पेंशनर संघ, संयुक्त शिक्षक संघ, सहायक शिक्षक फेडरेशन संघ, प्रधान पाठक कल्याण संघ, टीचर एशोशिएशन संघ, सचिव संघ, अघरिया समाज, पत्रकार संघ सहित समाजसेवी, जन प्रतिनिधि व गणमान्य नागरिको की उपस्थिति मे बड़े उत्साह और गौरव के साथ आयोजन किया गया।
यह कार्यक्रम शिक्षा के प्रति वर्षों से समर्पित शिक्षकों के योगदान को मान्यता देने और उनके महत्वपूर्ण योगदान का अभिनंदन करने के उद्देश्य से आयोजित किया गया था। उक्त अवसर पर 51 सेवानिवृत्ति शिक्षकों का पुष्प माला पहनाकर गमछा व श्रीफल प्रदान कर सम्मान किया गया। गुरु जी के विदाई कार्यक्रम में उनके तमाम परिवारजन उनके साथ शामिल रहे और इस कार्यक्रम को स्मरणीय बनाया।
समारोह का शुभारंभ दीप प्रज्वलन एवं सरस्वती वंदना के साथ हुआ। आत्मानंद स्कूल के छात्राओं ने एक दर्शनीय स्वागत नृत्य प्रस्तुत कर उपस्थित जन का मन मोह लिया।
बरमकेला आंचल में अपने सैद्धांतिक और मिलनसार व्यवहार को लेकर शिक्षा जगत में एक लंबे समय अंतराल में अपनी सेवा दे रहे प्रेम सागर नायक गुरुजी सभी के चाहते रहे शिक्षा जगत के साथ-साथ सामाजिक क्षेत्र में भी उनकी भूमिका हम रही इनके मिलनसार आदमी व्यवहार के कारण हर वर्ग में चाहा और इनका सम्मान किया जो उनके विदाई समारोह में साफ नजर आ रहा था। उक्त कार्यक्रम में सभी ने उनको सराहा सम्मान दिया साल ट्रिपल से सम्मानित करते हुए उन्हें स्मृति चिन्ह प्रदान किया गया तो वे भावुक हो उठे।
कार्यक्रम के मंच से विकास खंड समन्वयक शिक्षक प्रेमसागर नायक ने मंच को उद्बोधित कर कहा की सेवा निवृत्ति जीवन का वह पड़ाव है जहां हम अपने काम की जिम्मेदारियों से मुक्त हो जाते हैं और नई पारी की शुरुआत करते हैं। शिक्षक कभी सेवानिवृत्त नहीं होते। साधारण व्यक्ति को उसकी सेवा समाप्ति के बाद दस-बीस लोग ही याद रखते हैं। पर शिक्षक को हमेशा हजारों लोग और छात्र याद रखते हैं। समाज के हर वर्ग के लिए शिक्षक प्रेरणा का स्रोत है।
शिक्षक प्रेमसागर नायक ने अधिवार्षिकी की पूर्णता पर कहा कि कोई भी शिक्षक बच्चों को न मारे बल्कि उनके कारण को जाने समझे और उसका निराकरण करें। सम्मान से सभी उपस्थित अतिथियों ने पुष्प एवं गिफ्ट प्रदान कर भेंट किया। वरिष्ठ शिक्षकों ने उनके द्वारा किए गए कार्यों को विस्तार से बताया वहीं 42 साल तक शिक्षक के रूप में कार्य कर उन्होंने अर्धवार्षिक की पूर्णता की है।
जिसके सम्मान में सभी आगंतुक अतिथियों ने सम्मान किया वहीं स्कूली छात्र – छात्राओं का उनके सम्मान को भव्य बनाने में बड़े ही अहम योगदान रहा। सेवा निर्मित हुए प्रेम नायक गुरु जी ने कहा की इस कार्यक्रम में सम्मिलित होकर इस कार्यक्रम की शोभा बढ़ाये मान बढ़ाये अपना कीमती वक्त दिया उन सभी मेरे शिक्षक साथियों से लगन पूर्वक कार्य करने हेतु अपने कर्तव्य के पीछे लगने हेतु व बच्चों की पढ़ाई को हमेशा ध्यान में रखने का मैं संदेश देना चाहूंगा।
उक्त कार्यक्रम में मेरे सभी पेंशनर्स साथी उपस्थित थे मेरे द्वारा उन्हें सम्मानित करने का एक प्रयास किया गया है और अपने जीवन में आई कठिनाइयां और उसके निदान के बारे में भी सबको बताया। सभी ने अपने उद्बोधन में मेरे लिए शुभकामनाएं प्रदान किया है मैं उनका हृदय से आभारी हूं और भविष्य में भी मेरे सभी साथियों से ऐसा सहयोग मिलता रहे ऐसा अनुभव करता हूं।
1983 में मेरे गुरु जी रहे प्रधान पाठक रहे श्री रामलाल हीरालाल जी ने मुझे एक सिख सिखाई थी कि किसी भी बच्चों के ऊपर हाथ नहीं उठाना 1983 के बाद से आज तक किसी भी बच्चों के ऊपर हाथ नहीं उठाया है और शायद मेरी ऐसी गुरु के कारण आज मैं इस मुकाम तक पहुंचा हु। सभी ने उनकी दीर्घायु और स्वस्थ्य जीवन की कामना की।
वहीं विशेश्वर नायक जी पेंशनर संघ प्रमुख ने कहा कि इस मौके पर इतनी भीड़ की बड़ी संख्या में अंत तक उपस्थिति ही मेरे भतीजे प्रेम की असली पूंजी है। मेरे भतीजे प्रेम हमेशा अपने शांत स्वभाव और मिलन सार व्यक्तित्व को लेकर बरमकेला अंचल में सभी के बीच आदर सूचक रहे हैं। उन्होंने गुरु की भूमिका के साथ सामाजिक कार्यों में भी अपना सहयोग और उपस्थित सदैव दीया। शिक्षा के गुणवत्ता को बेहतर और छात्रों को अलग तरीके से सिखाने को महत्व दिया। शिक्षा विभाग के कई दायित्वों को भी उन्होंने बखूबी निभाया। आगे भी भविष्य में पेंशनर संघ के साथ जुड़कर वह आप और हमारे बीच बने रहे स्वस्थ रहें ऐसी मेरी कामना है।
नरेंद्र कुमार जांगड़े बीईओ ने कहा कि गुरुजी का
शिक्षको और बच्चों से हमेशा मधुर संबंध बना रहा। इस मौके पर इतनी भीड़ उनके स्वभाव और कर्तव्य निष्ठा का एक उपहार है।
इस आयोजन का मुख्य उद्देश्य नई पीढ़ी के शिक्षकों को प्रेरित करना था ताकि वे भी शिक्षा के प्रति अपने कर्तव्यों का पालन पूरी निष्ठा और ईमानदारी से कर सके।