
सारंगढ़-बिलाईगढ़, ग्राम टिमरलगा: छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने आज सारंगढ़-बिलाईगढ़ जिले के ग्राम टिमरलगा में आयोजित पर्वतदान (अन्न) एवं अश्वमेध यज्ञ महोत्सव में सहभागिता की। इस भव्य आयोजन ने क्षेत्र में धार्मिक उत्साह और भक्ति की भावना को सजीव कर दिया।
मुख्यमंत्री का संबोधन:
मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने अपने उद्बोधन में छत्तीसगढ़ की सांस्कृतिक और धार्मिक धरोहर पर प्रकाश डालते हुए कहा,
“जब भी ऐसे बड़े धार्मिक आयोजन होते हैं, पूरा क्षेत्र भक्ति के रंग में डूब जाता है। छत्तीसगढ़ भगवान श्रीराम का ननिहाल है और यह वही पावन भूमि है, जहां भगवान श्रीराम ने अपने वनवास का अधिकतम समय बिताया।”
उन्होंने आगे कहा,
“हमारी भूमि पवित्र है। यहां तुरतुरिया स्थित वाल्मीकि आश्रम वह स्थल है, जहां लव और कुश ने अश्वमेध यज्ञ के घोड़े को रोका था। छत्तीसगढ़ के कण-कण में प्रभु श्रीराम की स्मृतियां बसी हुई हैं, जिन्हें सहेजने और संजोने के लिए हम सतत प्रयास कर रहे हैं।”
धार्मिक धरोहर को संरक्षित करने की पहल:
मुख्यमंत्री ने छत्तीसगढ़ के धार्मिक महत्व को और भी अधिक पहचान दिलाने की बात कही। उन्होंने कहा कि प्रदेश की पांच शक्तिपीठों को जोड़ने के लिए विशेष योजनाएं बनाई जा रही हैं। साथ ही, राजिम त्रिवेणी संगम में कुंभ मेले का आयोजन दोबारा शुरू किया गया है, जिससे राज्य की सांस्कृतिक पहचान को और मजबूती मिलेगी।
नई घोषणाएं:
मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर ग्राम टिमरलगा के लिए कई विकास कार्यों की घोषणा की:
1. ग्राम के माध्यमिक विद्यालय को हाईस्कूल में उन्नत किया जाएगा।
2. मां नाथल दाई मंदिर को पर्यटन केंद्र के रूप में विकसित कर उसका सौंदर्यीकरण किया जाएगा।
3. ग्राम टिमरलगा के उप-स्वास्थ्य केंद्र को प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में उन्नत किया जाएगा।
धार्मिक आयोजनों से बढ़ता सामाजिक जुड़ाव:
इस महोत्सव में बड़ी संख्या में श्रद्धालु और स्थानीय निवासी शामिल हुए। आयोजन ने धार्मिक एकता और सांस्कृतिक परंपराओं को सुदृढ़ किया। मुख्यमंत्री की उपस्थिति ने इस आयोजन को और अधिक गरिमामय बना दिया।
छत्तीसगढ़ के सांस्कृतिक और धार्मिक महत्व को बढ़ाने के लिए सरकार का यह कदम प्रदेशवासियों के लिए एक प्रेरणा है।