CHHATTISGARH

नौकरी बचाने के लिए छत्तीसगढ़ में अनोखे प्रदर्शन

मुंडन-हवन के बाद मंत्री के बंगले पहुंचे B.Ed अभ्यर्थी, परिजनों के साथ प्रदर्शन, अब लेंगे जल समाधी

नवा रायपुर के तूता धरना स्थल में बीते 11 दिनों से B.Ed प्रशिक्षित सहायक शिक्षकों का आंदोलन जारी है। नौकरी की सुरक्षा और समायोजन की मांग को लेकर शिक्षक सामूहिक मुंडन और हवन के बाद वित्त मंत्री ओपी चौधरी के बंगले पहुंच गए। लेकिन उनसे मुलाकात नहीं हो पा

प्रदेश में बीएड वाले 2900 सहायक शिक्षकों को नियुक्ति के 14 माह बाद नौकरी से हटा दिया गया है। इनमें 80 से ज्यादा ऐसे शिक्षक हैं जाे स्वामी आत्मानंद स्कूल और दूसरे संविदा जॉब छोड़कर सहायक शिक्षक बने थे।

दरअसल, छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने 10 दिसंबर 2024 को 2 सप्ताह के भीतर डीएड डिग्रीधारियों को सहायक शिक्षक के पद पर नियुक्ति का आदेश दिया था और बीएड डिग्रीधारियों की नियुक्ति रद्द करने को कहा था। जिससे बीएड डिग्रीधारी सहायक शिक्षकों की नौकरी खतरे में आ गई है। कोर्ट ने सख्त हिदायत दी थी कि 15 दिनों के भीतर ही भर्ती का प्रोसेस पूरा किया जाना है।

कोर्ट ने सहायक शिक्षकों के पद के लिए केवल डीएड डिग्री होल्डर्स को ही उपयुक्त माना है।

नौकरी लगने से लेकर हटाए जाने तक का सारांश बनाकर सरकार से B.Ed अभ्यर्थी समायोजन की मांग कर रहे हैं।

जानिए अब तक क्या हुआ

पहले निकाली गई अनुनय यात्रा –

बीएड सहायक शिक्षकों ने 14 दिसंबर को अंबिकापुर से रायपुर तक पैदल अनुनय यात्रा शुरू की गई थी। रायपुर पहुंचने के बाद 19 दिसंबर से यात्रा धरने में बदल गई। इस दौरान शिक्षकों ने सरकार और जनप्रतिनिधियों को अपनी पीड़ा सुनाने के लिए पत्र भी भेजे, लेकिन अब तक सरकार की ओर से कोई ठोस आश्वासन नहीं दिया गया।

नवा रायपुर के तूता गांव पहुंचने के बाद धरना शुरु हुआ और B.Ed अभ्यर्थियों ने ब्लड डोनेशन कैंप लगाया।

धरना स्थल पर लगाया ब्लड डोनेशन कैंप

धरना प्रदर्शन शुरू होने के बाद, शिक्षकों ने 22 दिसंबर को धरना स्थल में ही ब्लड डोनेशन कैंप लगाया। इस शिविर में शिक्षकों ने रक्तदान कर सरकार तक यह संदेश पहुंचाया कि वे समाज और देश की भलाई के लिए समर्पित हैं और शांतिपूर्ण तरीके से अपने अधिकारों के लिए संघर्ष कर रहे हैं।

शिक्षकों ने कराया सामूहिक मुंडन

26 दिसंबर को आंदोलन में बैठे सहायक शिक्षकों ने अपनी मांगों की तरफ सरकार का ध्यान खींचने के लिए धरना स्थल पर ही प्रदर्शन के दौरान पुरुषों के साथ महिला टीचर्स ने भी अपने बाल कटवाए। यहां प्रदर्शनकारियों ने स्पष्ट किया कि ये केवल बालों का त्याग नहीं बल्कि उनके भविष्य की पीड़ा और न्याय की आवाज है।

यज्ञ और हवन कर आंदोलन पर बैठे शिक्षकों ने सरकार तक अपनी बात पहुंचाने की कोशिश की।

यज्ञ और हवन कर सरकार से संवेदनशील फैसले की उम्मीद

28 दिसंबर को नौकरी छिन जाने की वजह से आंदोलन पर बैठे शिक्षकों ने मुंडन के बाद यज्ञ और हवन करके प्रदर्शन किया। इस दौरान शिक्षकों ने कहा कि हम शिक्षण जैसे पवित्र कार्य में समर्पित हैं। यज्ञ और पूजा के माध्यम से हमने भगवान से सेवा-सुरक्षा की प्रार्थना की है। यदि हमारी मांगे नहीं मानी गईं, तो हम रविवार को सांकेतिक सामूहिक जल समाधि लेने को मजबूर होंगे।

आदिवासी महिला टीचर्स मंत्री ओपी चौधरी के बंगले पहुंची

29 दिसंबर को आदिवासी महिला शिक्षिकाओं ने वित्त मंत्री ओपी चौधरी से मुलाकात की कोशिश की, लेकिन सफलता नहीं मिली। करीब 2 घंटे तक सहायक शिक्षक चौधरी के बंगले के सामने मुलाकात के लिए डटे रहे । पुलिस की समझाइश के बाद उन्हें बेमन लौटना पड़ा।

परिजनों को लेकर धरने पर बैठे

बीएड अभ्यर्थी धरना स्थल में अपने परिजनों को साथ लेकर बैठे हुए हैं। राजनांदगांव की दिव्यांग सहायक शिक्षक किरण मरकाम की मां जामबाई ने बताया कि उनकी बेटी किरण को काफी मुश्किलों सामना करने के बाद सहायक शिक्षक की नौकरी मिली थी लेकिन ये भी छिन गई। सरकार अगर चाहे तो इन शिक्षकों के हित में फैसले ले सकती है। जामबाई कहती हैं कि जब नौकरी छिननी थी तो लगाई ही क्यों?

इसी तरह से नारायणपुर से आई आदिवासी सहायक शिक्षक सुनीता पैकरा का कहना है कि पहले में दूसरी जॉब में थी। जिसे छोड़कर सहायक शिक्षक बनी, सुनीता का कहना है कि मां की जिम्मेदारी उस पर है।नौकरी जाने के बाद पता नहीं क्या होगा?

अभ्यर्थियों की मांग

  • बीएड धारक शिक्षकों का समायोजन सुनिश्चित किया जाए।
  • सेवा समाप्ति के अन्यायपूर्ण आदेश पर तुरंत रोक लगाई जाए।
  • सभी शिक्षकों को न्यायपूर्ण अवसर और सम्मान दिया जाए।

सहायक शिक्षक सौरभ साहू ने कहा कि अनुनय यात्रा के बाद लगातार प्रदर्शन कर रहे हैं। हमने ब्लड डोनेशन कैंप लगाया, मुंडन कराया, हवन कराया और मंत्रियों के पास भी गए। अब परिजनों को लेकर प्रदर्शन कर रहे है। इसके बाद भी अगर सरकार मांगे नहीं मानती है। तब सारे शिक्षक जल समाधी

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