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अरुण वोरा ने दुर्ग के 11 शिक्षकों को सम्मानित किए

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दुर्ग । 5 सितंबर को, भारत में शिक्षकों की महान भूमिका को मान्यता देते हुए शिक्षक दिवस मनाया गया। इस अवसर पर वरिष्ठ कांग्रेस नेता और दुर्ग के पूर्व विधायक अरुण वोरा ने शहर के विभिन्न स्कूलो एवं 12 करोड़ की लागत से बने हेमचंद यादव विश्वविद्यालय के प्रशासनिक भवन का दौरा किया। उन्होंने शास. पूर्व. माध्यमिक स्कूल, पोटीयाकला,बोरसी में 11 शिक्षकों को सम्मानित किया। उन्होंने शिक्षकों एवं शिक्षण कार्य से जुड़े अन्य कर्मचारियों को शिक्षक दिवस की बधाई दी एवं अभिनंदन किया।

वोरा ने कहा कि समाज को एक सकारात्मक दिशा देने में शिक्षकों का योगदान अतुलनीय है प्राचीन काल से ही भारत में गुरु की पूजा की जाती है गुरुओं को ब्रम्हा विष्णु महेश का दर्जा दिया गया है। यहां तक कि वेद पुराणों के अनुसार भगवान ने भी जब जब धरती पर अवतरण लिया है उन्हें भी सुमार्ग प्राप्त करने के लिए गुरुओं की आवश्यकता पड़ी। श्रीकृष्ण के गुरु संदीपनी, भगवान राम लक्ष्मण के गुरु वशिष्ठ, कौरव पांडवों के गुरु द्रोणाचार्य अपने शिष्यों द्वारा किए गए युगांतर कारी कार्यों से भी विख्यात हुए।

जब से मनुष्य समाज की उत्पत्ति हुई है गुरुओं का स्थान सर्वोच्च है। आज जिस तरह से समाज में वैमनस्यता एवं अपराध में बढ़ोतरी हो रही है ऐसे समय में समाज को सही दिशा देने में गुरुजनों की भूमिका बेहद महत्वपूर्ण है एक शिक्षक ही समाज को सभ्यता के उत्कर्ष तक पहुंचा सकता है। वोरा ने शिक्षा के क्षेत्र में कांग्रेस सरकार द्वारा किए गए प्रयासों को बताते हुए स्वामी आत्मानंद विद्यालय, महाविद्यालय एवं आईटीआई को दूरदर्शी कदम बताया एवं इसे वर्तमान सरकार द्वारा जारी रखने की अपील की।

राजीव भवन, दुर्ग में भी कांग्रेसियों ने शिक्षक दिवस का आयोजन किया। इस समारोह में डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन जी को श्रद्धांजलि अर्पित की गई। राधाकृष्णन, जिनके जन्मदिन को शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाता है, भारतीय शिक्षा प्रणाली के सुधारक और शिक्षाशास्त्र के महान विद्वान थे। उनके योगदान ने शिक्षा के क्षेत्र में अभूतपूर्व बदलाव लाया और उन्होंने शिक्षा के महत्व को बढ़ावा दिया।

इस अवसर पर उनके साथ कांग्रेस के नेताओं ने शिरकत की, जिनमें संतोष सोनी, आनंद कपूर ताम्रकार, भोजराज यादव, परमजीत भुई, रत्ना नारमदेव, गया पटेल, अजय मिश्रा, रमेश श्रीवास्तव, दुष्यंत देवांगन, जगमोहन ढीमर, शिव वैष्णव, मोहित वाल्दे, और भगवत ताम्रकार शामिल थे। सभी ने मिलकर शिक्षकों के प्रति सम्मान व्यक्त किया और उनकी महत्ता को उजागर किया।

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