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देवेंद्र सेठिया के नाम पर धोबीगुड़ा का प्रायमरी स्कूल, नक्सलियों के आईडी ब्लास्ट में हुए थे बलिदान

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बस्तर जिले के धोबीगुड़ा में जन्म लेने वाले देवेन्द्र सेठिया का अप्रैल माह में नक्सलियों के द्वारा लगाए गए आईडी ब्लास्ट में शहीद हो गए थे, जिसके 5 माह बाद गृहग्राम में बने प्रायमरी स्कूल का नामकरण शहीद देवेंद्र कुमार सेठिया के नाम से किया गया।

बस्तर जिले के धोबीगुड़ा में जन्म लेने वाले देवेन्द्र सेठिया का अप्रैल माह में नक्सलियों के द्वारा लगाए गए आईडी ब्लास्ट में शहीद हो गए थे, जिसके 5 माह बाद गृहग्राम में बने प्रायमरी स्कूल का नामकरण शहीद देवेंद्र कुमार सेठिया के नाम से किया गया। इस दौरान सीआरपीएफ के आला अधिकारियों के साथ ही परिवार के लोग भी मौजूद थे। बताया जा रहा है कि लोकसभा चुनाव के मद्देनजर बीजापुर जिले के उसूर थाना क्षेत्र के ग्राम गलगम में एक सीआरपीएफ की पार्टी 19 अप्रैल 2024 एरिया डोमिनेशन के लिए निकली थी, इसी दौरान यूबीजीएल ब्लास्ट होने से कॉस्टेबल देवेंद्र के पैर, कमर और हाथ मे गंभीर चोट आई, जिसे बेहतर उपचार के लिए जिला अस्पताल ले जाया गया। गंभीर हालत को देखते हुए मेकाज हेलीकॉफ्टर की मदद से भेजा गया। मेकाज पहुँचने से पहले देवेंद्र सेठिया शहीद हो गए थे।

स्कूल का नाम शहीद के नाम पर 
शहीद देवेंद्र सेठिया के गृहग्राम धोबीगुड़ा में 4 सितंबर की सुबह सीआरपीएफ के आला अधिकारियों के मौजूदगी में पहले प्रायमरी स्कूल ग्राम धोबीगुड़ा में शहीद जवान के छायाचित्र पर पूरे सम्मान के साथ पहले पुष्पगुच्छ अर्पित करने के बाद भारत माता के जयकारे के नारे लगाए गए, उसके बाद स्कूल का नाम शहीद के नाम पर रखा गया,

पांच भाई बहनों में दूसरे नम्बर के देवेन्द्र
शहीद कांस्टेबल देवेन्द्र सेठिया के परिजनों ने बताया कि वर्ष 2013 में देवेंद्र ने सीआरपीएफ ज्वाइन किया था, उसके बाद कई वर्ष तक असम में पदस्थ रहने के बाद करीब 2 वर्ष पहले भद्राचलम में सीआरपीएफ बटालियन में रहने के बाद करीब 8 माह पहले 196 बटालियन बीजापुर गया, जनवरी में दियारी त्यौहार होने के कारण करीब 1 माह की छुट्टी लेकर आया हुआ था, फिर वापस अपने ड्यूटी बीजापुर चला गया, 19 अप्रैल की करीब सुबह 3 बजे अपने छोटे भाई योगेंद्र को फोन पर जन्मदिन का संदेश भी भेजा उज़के बाद अपने साथियो के साथ सर्चिंग में चला गया,

कोविड में हो चुकी है पिता की मौत

जवान देवेंद्र सेठिया के पिता महेश सेठिया का निधन 2021 में कोविड के दौरान हुआ था, जिसके बाद से घर की जिम्मेदारी देवेंद्र के ऊपर ही थी, जबकि छोटा बेटा योगेंद्र घर में रहकर खेती किसानी का काम देख रहा था, शहीद जवान की बड़ी बहन के बाद देवेंद्र था उसके बाद अन्य भाई बहन भी हैं।

जवान की नहीं हुई थी शादी
शहीद जवान देवेंद्र अविवाहित थे, देवेंद्र अपने पुराने घर को बनवाने के बाद परिजनों से शादी की बात कही थी। 

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