डोंगरगढ़ में दुर्लभ काले तेंदुए की दस्तक, स्थानीय लोग दहशत में, मां दंतेश्वरी पहाड़ी पर रोज देखा जा रहा तेंदुआ, वन विभाग पर लापरवाही के आरोप

डोंगरगढ़ के छुरिया नगर पंचायत क्षेत्र में इन दिनों एक दुर्लभ काले तेंदुए की मौजूदगी से स्थानीय लोगों में भय का माहौल है। यह तेंदुआ मां दंतेश्वरी मंदिर के आसपास देखा जा रहा है, जिससे वन्यजीव प्रेमियों में उत्साह तो है, लेकिन ग्रामीणों की चिंता भी बढ़ गई है।
क्या है काले तेंदुए की खासियत?
काला तेंदुआ सामान्य तेंदुए से अलग होता है क्योंकि उसकी त्वचा में ‘मेलानिन’ (Melanin) नामक वर्णक अधिक मात्रा में होता है, जिससे वह पूरी तरह काले रंग का दिखाई देता है। हालांकि, पास से देखने पर उसकी त्वचा पर चित्तीदार पैटर्न नजर आता है। भारत में आमतौर पर काले तेंदुए कर्नाटक के काबिनी वन क्षेत्र में पाए जाते हैं, लेकिन छुरिया में इसकी उपस्थिति ने सभी को चौंका दिया है।
ग्रामीणों में दहशत, वन विभाग पर निष्क्रियता के आरोप
स्थानीय लोगों का कहना है कि तेंदुआ रोजाना दिखाई दे रहा है, खासतौर पर शाम के समय मुख्य सड़क के पास ऊंची चट्टानों पर देखा जाता है। इससे ग्रामीणों में भय व्याप्त है। लोग बच्चों को स्कूल भेजने और मवेशी चराने से डरने लगे हैं।
वन विभाग ने केवल निगरानी रखने का दावा किया है, लेकिन अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है। ग्रामीणों का कहना है कि एक सप्ताह से अधिक समय बीत चुका है, फिर भी प्रशासन कोई प्रभावी कार्रवाई नहीं कर रहा, जिससे लोगों की नाराजगी बढ़ रही है।
सोशल मीडिया पर वायरल हो रही तस्वीरें, अफवाहों का बाजार गर्म
तेंदुए की तस्वीरें और वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहे हैं। कुछ लोग इसे दुर्भाग्य का संकेत मान रहे हैं, तो कुछ इसे किसी रहस्यमयी घटना से जोड़कर चर्चा कर रहे हैं। इन अफवाहों के चलते सच्चाई तक पहुंचना मुश्किल हो गया है।
विशेषज्ञों ने दिए सुरक्षा उपायों के सुझाव
वन्यजीव विशेषज्ञों का कहना है कि काले तेंदुए की मौजूदगी दुर्लभ जरूर है, लेकिन उसके प्रवासन (Migration) पैटर्न को समझना आवश्यक है। यदि उसे पर्याप्त भोजन नहीं मिला, तो वह मवेशियों या इंसानों की ओर आकर्षित हो सकता है, जिससे खतरा बढ़ सकता है।
विशेषज्ञों ने सुझाव दिया है कि इलाके में कैमरा ट्रैप लगाए जाएं, जिससे उसकी गतिविधियों पर नजर रखी जा सके। साथ ही वन विभाग को तुरंत उचित कदम उठाने की सलाह दी गई है, ताकि मानव-वन्यजीव संघर्ष को रोका जा सके।
👉 वन विभाग को जल्द से जल्द सतर्कता बढ़ाने और ग्रामीणों को सुरक्षा का भरोसा देने की जरूरत है, ताकि किसी अप्रिय घटना से बचा जा सके।