
विधायक उत्तरी जांगड़े, केराबाई मनहर पूर्व विधायक ने जिला प्रशासन को चेताया
सीईओ और सचिव का तबादला विवाद समाज के चक्का जाम अल्टीमेटम पर टिका
सतनामी विकास परिषद सचिव अंबेडकर के लिए तो अघरिया समाज के साथ आधा दर्जन समाज सीईओ के पक्ष में हुआ खड़ा
सारंगढ़ न्यूज़/ सारंगढ़ में जनपद पंचायत सीईओ संजू पटेल और सचिव संघ के पूर्व अध्यक्ष कामदा अंबेडकर के तबादला प्रकरण ने अब राजनीति का रूप ले लिया है। विधानसभा चुनाव के बाद सचिव कामदा अंबेडकर के अन्यत्र जिला तबादले को लेकर सतनामी विकास परिषद ने मोर्चा खोल दिया। सीईओ संजू पटेल और उपसंचालक विनय तिवारी के तबादले को लेकर चक्का जाम किए जाने से पूरा जिला प्रशासन सकते में आ गया। ऐसे में सतनामी समाज प्रमुखों और उनसे जुड़े जन प्रतिनिधियों का जिला प्रशासन ने जिला कलेक्ट्रेट में बैठक आहूत कर चक्का जाम न करने की बात रखते हुए उनसे चर्चा की। चर्चा के दरमियान पूर्व विधायक सुश्री कामदा जोल्हे ने फायर ब्रांड की तरह जमकर प्रशासन को आडे हाथों लिया तो वही विधायक श्रीमती उत्तरी गणपत जांगड़े ने आपत्ति दर्ज कर उक्त मांगों पर जिला प्रशासन के अधिकारियों को गंभीरता दिखाने की बात की। पूर्व विधायक केराबाई मनहर एवं समाज प्रमुखों तथा जन प्रतिनिधियों ने भी उक्त तबादले को लेकर कड़ी आपत्ति जताई। बैठक के दरमियान दो से तीन बार जिला प्रशासन के अधिकारियों को बैठक से उठकर अलग केबिन में जाकर बैठक कर चर्चा पर चर्चा करते देखा गया। इस पूरे वाक्या में छात्र नेता से विधायक तक का सफर तय करने वाली सुश्री कामदा जोल्हे तेज तर्रार अंदाज में तर्क वितर्क करते सब पर भारी नजर आई।
क्या तबादले का गौण खनिज से है कनेक्शन – वैसे तो उक्त आंदोलन अधिकारियों और कर्मचारियों के बीच तबादले और प्रेस्टीज की लड़ाई से जोड़कर देखा जा रहा है मगर जहां एक और सतनामी विकास परिषद ने अपने सामाजिक बंधुओ की आवाज मुखर की है वहीं दूसरी ओर अपने समाज की महिला अधिकारी को लेकर अघरिया समाज के साथ अन्य समाजों ने भी शासन प्रशासन को अपनी मनसा साफ जाहिर कर दी है। शासन परिवर्तन के बाद सारंगढ़ जनपद पंचायत के गौण खनिज मद का रुकना क्या अधिकारियों के तबादले और आपसी लड़ाई से जोड़कर देखा जा रहा है। जहां तबादले को लेकर चक्का जाम का अल्टीमेटम जिला प्रशासन के लिए सर दर्द बन गया है वहीं अब गौण खनिज को रिलीज करने की मांग पर जल्द ही एक और चक्का जाम का अल्टीमेटम जिला प्रशासन को कटघरे
में खड़े करने जैसा है। जिला कलेक्टर में घंटो देर तक चले इस मैराथन बैठक पर जहां कई जन प्रतिनिधियों की नज़रें टिकी हुई थी वही मीडिया भी उक्त मामले में अपनी पैनी नजर बिछाए हुए था।