CHHATTISGARH

जवानों को नक्‍सलियों के खिलाफ मिली अब तक की सबसे बड़ी सफलता

छत्‍तीसगढ़ में नक्सलियों के खिलाफ चल रही लड़ाई की रणनीति बदली गई है। यहां हॉट परस्यूट और ड्राइव फार हंट का एक मिलाजुला ऑपरेशन लगातार चल रहा है। इस तरीके को अपनाने से पहले जवानों को इस क्षेत्र की भाैगोलिक परिस्थितियों से अवगत कराया गया।

रायपुर। केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह और मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय की सरकार का नक्सलवाद के खिलाफ आक्रामक रुख का असर जमीन पर दिख रहा है। पिछले नौ महीने के भीतर केंद्र और राज्य सरकार के बीच बेहतर समन्वय से जवानों का हौसला बढ़ा और पहले से अधिक सूचना तंत्र मजबूत हुआ है। नतीजतन, प्रदेश में लगातार नक्सली ढेर हो रहे हैं। हर महीने जवान एक बड़ी सफलता हासिल कर रहे हैं। नारायणपुर जिले के थुलथुली गांव के पास जंगल व पहाड़ी में हुई मुठभेड़ में जवानों ने बड़ी संख्या में नक्सलियों को ढेर कर दिया है।

अधिकारियों के मुताबिक प्रदेश में नक्सलियों के खिलाफ चल रही लड़ाई की रणनीति बदली गई है। यहां हॉट परस्यूट और ड्राइव फार हंट का एक मिलाजुला ऑपरेशन लगातार चल रहा है। इस तरीके को अपनाने से पहले जवानों को इस क्षेत्र की भाैगोलिक परिस्थितियों से अवगत कराया गया। यहां जवानों को सुगमता से चलने के लिए विशेष सुरक्षा प्रणाली के जूते मुहैया कराए गए हैं। खड़ी पहाड़ियों से नक्सलियों को घेरकर मारने की नई रणनीति पर काम हो रहा है।

नक्सलियों के बड़े नेता जहां बैठक कर रहे हैं वहां की जानकारी जुटाने में सूचना तंत्र को और अधिक मजबूत किया गया है। ताकि वहीं हमला किया जा सके। प्रदेश में केंद्रीय सुरक्षा बल के चार हजार जवान अतिरिक्त स्वीकृत किए गए हैं। इनमें कुछ जवान यहां पहुंच चुके हैं। स्थानीय पुलिस व केंद्रीय सुरक्षा बलों के जवानों के बीच सामंजस्य बैठाया गया है। खूफिया तंत्र की मजबूती के चलते नक्सलियों को ट्रेस करना बेहद आसान हुआ है। नक्सली अक्सर जहां जुटते हैं वहां की जानकारी जुटाकर पहले पूर्वाभ्यास भी कराया जा रहा है।

 

जिस क्षेत्र में ऑपरेशन को अंजाम देते हैं वहां कई बार रेकी की जाती है। नक्सल प्रभावित इलाकों में ही सुरक्षा बल के जवानों ने नए कैंप स्थापित किए हैं। इनमें बीजापुर, सुकमा और अबूझमाड़ जैसे इलाकों में जवानों की पैठ मजबूत हुई है। इसके अलावा नक्सलियों के खिलाफ लड़ाई लड़ रहे जवानों को सुविधा, सुरक्षा और हथियार भरपूर उपलब्ध कराए जा रहे हैं। नक्सल क्षेत्रों में पहले न तो मोबाइल टॉवर होते थे और न ही कोई अन्य संचार के नेटवर्क। अब यहां मोबाइल व टावर दोनों हैं।

नक्सलियों के बड़े कमांडरों की गतिविधियों पर नजर रखने के लिए विशेष जवानों की तैनाती की गई है, ग्रामीणों को विश्वास में लेकर बड़े नेताओं को लक्ष्य बनाया जा रहा है। यहां ग्रामीणों के लिए नियद नेल्लानार योजना (सबसे अच्छा गांव) चलाई जा रही है। इससे ग्रामीणों को सभी सरकारी सुविधाएं मिल रही हैं, उनका भरोसा सरकार की ओर बढ़ा है और नक्सलियों की सूचनाएं मिलनी आसान हुई हैं।नक्सलियों के मूवमेंट की जानकारी रखने के लिए राज्य और केंद्रीय खुफिया एजेंसियों के नेटवर्क को मजबूत किया गया है। इसके अलावा नक्सलियों के वित्तीय तंत्र को ध्वस्त करने के लिए विभिन्न राज्यों की सीमाओं पर निगरानी बढ़ा दी गई है। केंद्रीय सुरक्षा एजेंसियों से लेकर जिला स्तर तक के जवानों व अधिकारियों को नक्सलियों पर कार्रवाई के लिए स्वतंत्र निर्णय लेने की छूट देने समेत अन्य बदलाव शामिल हैं।

शाह के रोडमैप पर काम

केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने अपने तीन दिवसीय छत्तीसगढ़ प्रवास (23 से 25 अगस्त) के दौरान नक्सल प्रभावित सात राज्यों की अंतरराज्यीय समन्वय समिति की बैठक की थी। इसमें पड़ोसी राज्यों के मुख्य सचिव, डीजीपी और अर्द्धसैनिक बलों के अधिकारी शामिल हुए थे। गृहमंत्री शाह ने कहा था कि नक्सली मुख्यधारा में शामिल होने के लिए सरेंडर करें या फोर्स की कार्रवाई के लिए तैयार रहे। नक्सली पाताल में भी चले जाएं तो उन्हें मार गिराएंगे।

प्रदेश में अब तक चले अभियान

रमन सरकार में स्थानीय लोगों को हथियारों से लैस करने का सलवा जुड़ूम अभियान शुरु किया गया था। हालांकि सरकार ने इसे कभी अपना अभियान नहीं माना, लेकिन कोर्ट से रोक लगने के बाद इस अभियान पर रोक लग गई। 2009 में आपरेशन ग्रीन हंट चलाया गया। इस आपरेशन से नक्सलियों की घेरेबंदी में थोड़ी सफलता तो मिली, लेकिन नुकसान ज्यादा हुआ। अभी सुरक्षा बल नक्सली इलाकों में हाट परस्यूट और ड्राइव फार हंट चला रहे हैं, जो नक्सल आतंकवाद के खिलाफ बड़ी सफलताएं दिला रही है।

क्या होता है हाट परस्यूट व ड्राइव फार हंट?

रक्षा विशेषज्ञों के मुताबिक हाट परस्यूट को ताजा या तत्काल पीछा के रूप में भी जाना जाता है। ऐसी स्थिति सुरक्षा के जवानों व अधिकारियों को ही कमांड शक्तियां प्रदान करती है जो अन्यथा उनके पास नहीं होती। ड्राइव फार हंट ऐसी स्थिति होती है जब विद्रोही किसी घने जंगल में सहारा ले लेते है तो उनकी पूरी खबर मिलना मुश्किल हो जाता है और इनके ठिकाने आमतौर पर बदलते रहते है। इसीलिए एक तरफ से तलाशी लेकर और दाहिने- बाए और सामने से विद्रोहियों को रोकने के लिए स्टाप पार्टियां लगाई जाती है और इनको एक तरफ से घेरकर ऐसी जगह ले जाकर मारा जाता है जो की पहले से तय की गई हो। ऐसे अभियान को हम ड्राइव एंड हंट आपरेशन कहते है।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button