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जिला कांग्रेस अध्यक्ष अरुण मालाकार को हराकर संजय पांडेय ने लिखा राजनीति का नया अध्याय

ओपी चौधरी के सिंह घोष ने पूरे जिले में कांग्रेसियों के हौसलों को किया पस्त

सारंगढ़ बिलाईगढ़ जिला पंचायत चुनाव में कांग्रेस का सूफड़ा साफ

बीजेपी 8 बसपा 1 तो 2 सीट में सिमटी कांग्रेस

भाजपा से संजय पांडे अरविंद खटकर डॉ हरिहर जायसवाल की बड़ी जीत

कांग्रेस से विनोद भारद्वाज ने बचाई लाज

जिले में बसपा का खुला खाता, दो बार हार के बाद लता लक्ष्मे की जीत

क्षेत्र क्र 9 में कांग्रेसी कार्यकर्ता बने मिस्टर इंडिया

कांग्रेस के गढ़ को तोड़ने में संजय पांडे बने नींव का पत्थर, भाजपाइयों में जगा जोश

10 वर्ष पुराने बीडीसी चुनाव में हार का संजय पांडे ने लिया बदला

सारंगढ़ बिलाईगढ़ न्यूज़/ सारंगढ़ बिलाईगढ़ जिले में 14 जिला पंचायत क्षेत्र में पूरी तरह से भाजपा का दबदबा नजर आया। 11 सीट भाजपा ने जीतकर जहां प्रथम जिला पंचायत अध्यक्ष बनाने की घोषणा कर दी तो वही कैबिनेट मंत्री ओपी चौधरी के सिंहघोष पर कांग्रेस के दिग्गज नेताओ की कुर्सी खिसक गई। पूरे चुनाव में जिप क्षेत्र क्र 9 दानसरा कनकवीरा केडार से पंचायती राज के अभेध योद्धा कांग्रेस के जिलाध्यक्ष अरुण मालाकार की राजनीतिक साख दांव में लगी थी, जिसे चुनौती देने का दम अब तक भाजपा ने नहीं लिया था। इसके पूर्व 10 वर्ष पुराने बीडीसी चुनाव में कांग्रेस के गढ़ को ढहाने के लिए भाजपा शासन काल में ही संजय पांडे ने अरुण मालाकार को चुनौती दी थी मगर सशक्त युवा टीम के साथ अरुण मालाकार विजयी हुए थे उसके बाद से सारंगढ़ कांग्रेस अभेद गढ़ बन गया और निरंतर विधायक नगर पालिका जनपद पंचायत में कांग्रेस का कब्जा रहा। इस किलाबंदी को तोड़ने और इतिहास बदलने को लेकर इस बार भाजपा ने संजय भूषण पांडे को चुनाव मैदान में उतारा। जो कैबिनेट मंत्री ओपी चौधरी के भी पसंद थे। भाजपा से चुनावी रणनीतिकार एक शिक्षित सशक्त विश्वसनीय और मजबूत चेहरे के रूप में पूर्व जनपद अध्यक्ष संजय पांडे ने पूरे दमखम के साथ भारतीय जनता पार्टी के कार्यकर्ताओं और अपनी टीम के मार्गदर्शन में जमकर पसीना बहाया और सधी हुई रणनीति के साथ 10000 से भी अधिक मतों से रिकॉर्ड ऐतिहासिक जीत दर्ज कर सारंगढ़ की राजनीति में नया अध्याय लिख दिया। मजबूती के साथ चुनाव मैदान में उतरने के बाद पूरे जिले भर में क्षेत्र क्रमांक 9 के चुनाव पर हर जिला पंचायत क्षेत्र के सदस्यों के साथ मतदाताओं की भी नज़रें टिकी हुई थी और ग्राम पंचायत से लेकर जिले और प्रदेश तक इस सीट की चर्चा रही। कांग्रेस और भाजपा के जमीनी कार्यकर्ता से लेकर मंत्री और पूर्व मंत्री भी परिणाम को लेकर नजरे जमाए बैठे थे। संजय भूषण पांडे ने इस सीट पर जीत की कील ठोकने के बाद सारंगढ़ की राजनीति में भाजपा को मजबूत खंभ की तरह खड़ा करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई कहीं ना कहीं पूर्व चुनाव में बिखरी भाजपा इस चुनाव में एकजुट दिखाई दी तो वहीं कांग्रेस और उसके नेता पूरे चुनाव से नदारत रहे। ऐसा प्रतीत हुआ की पार्टी में मालाकार का जमकर विरोध है नेता तो नेता कार्यकर्ता भी इस चुनाव से दूरी बनाते दिखे। कैबिनेट मंत्री ने दानसरा में कार्यक्रम कर अपने सिंहघोष से सट्टा जुआ शराब और कमीशन खोरी को जैसे ही आडे हाथों लिया वैसे ही पूरे जिले में चुनाव का रुख बदल गया। पूरे जिले में 14 में भाजपा की 11 सीट पर जीत भाजपा के सुशासन सहायक सरकार की विकास और आप चौधरी के भरोसे पर खरा उतरी।

इनकी हुई जीत – जिला पंचायत क्षेत्र क्रमांक 5 कोसीर से भाजपा नेता नेत्री श्रीमती संतोषी अरविंद खटकर ने कड़े मुकाबले के बाद प्रचंड मतों से जीत दर्ज करते हुए इतिहास रचा।

जिला पंचायत क्षेत्र क्रमांक 6 रायगढ़ रोड से बसपा का खाता खुला और बसपा नेत्री लता लक्ष्में ने बहुत कम अंतर से जीत दर्ज की। गौरतलब हो कि इसके पूर्व दो बार चुनाव हारने के बाद इस क्षेत्र से लता लक्ष्में की वापसी हुई है।

क्षेत्र क्रमांक 7 से कांग्रेस के युवा नेता विनोद भारद्वाज ने कांग्रेस की लाज बचाई और 4000 मतों से भी अधिक अंतर से जीत दर्ज की।

जिला पंचायत क्षेत्र क्रमांक 8 से डॉ हरिहर जायसवाल ने कड़ी टक्कर देते हुए शानदार जीत दर्ज की।

जिप क्षेत्र क्रमांक 9 से संजय भूषण पांडे ने अरुण मालाकार को हराकर इतिहास रचा।


इनको मिली करारी शिकस्त – जिला पंचायत क्षेत्र क्रमांक 5 में भाजपा से श्रीमती वैजयंती नंदू लहरें पूर्व जिला पंचायत सदस्य, कामदा जोल्हे भाजपा नेत्री पूर्व विधायक, कांग्रेस समर्थित बसपा प्रत्याशी श्रीमती वंदना मनोज लहरे की करारी हार हुई।

जनपद चुनाव में विधायक पति ने गंवाया सीट – भाजपा के रडार में कहीं ना कहीं सरकार आने के बाद गणपत जांगड़े पूरी तरह से गिरते हुए दिखे वहीं अब अपने ही गांव से जनपद सदस्य का चुनाव लड़ रहे विधायक पति व विधायक प्रतिनिधि पूर्व जनपद सदस्य गणपत जांगड़े भी चुनाव हार गए हैं जिसकी चर्चा सारंगढ़ के साथ-साथ पूरे प्रदेश में है।

लंबे समय के बाद मालाकार परिवार की पंचायत चुनाव की जीत में लगा विराम – अरुण मालाकार जिला कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष जिनकी भाभी श्रीमती मंजू मालाकार तीन बार के निर्वाचित जनपद सदस्य व जनपद पंचायत अध्यक्ष, उनकी धर्मपत्ति श्रीमती सरिता अरुण मालाकार जनपद सदस्य और स्वयं अरुण मालाकार तीन बार के जनपद सदस्य पूर्व जनपद पंचायत उपाध्यक्ष एवं पूर्व सरपंच का सारंगढ़ के पंचायत चुनाव में निरंतर दबदबा रहा और निरंतर लंबी जीत के बाद ऐसा समय आया कि उनके विपक्ष में लड़ने को प्रत्याशी तक नहीं मिलते रहे और उनकी तीनों बीडीसी सीट पूर्व में निर्विरोध निर्वाचित रही। मगर ऐसा क्या हुआ कि इस चुनाव में लंबे समय से जनपद पंचायत में राज करने वाले अरुण मालाकार को दो-दो बीडीसी और एक जिला पंचायत सदस्य सीट पर करारी हार झेलनी पड़ी। कांग्रेस शासन काल में मंत्री से लेकर मुख्यमंत्री तक के खास सिपहसालार के रूप में चर्चित अरुण मालाकार की कार्यप्रणाली ऐसी क्या रही की क्षेत्र में एक मिलनसार स्वच्छ छवि के नेता के रूप में जानने उन्हें 108 के नाम से पुकारने के बाद उन्हें हार का सामना करना पड़ा। ओपी चौधरी के जुआ सट्टा और शराब को बंद करने की घोषणा और गौण खनिज में 25 से 30 परसेंट के कमीशन खोरी की बात क्या सच साबित हुई ? पूरे चुनाव में मालाकार की पुरानी टीम का गायब रहना और कांग्रेसियों का क्षेत्र में दबे स्वर में विरोध साफ नजर आया जो उनकी हर का कारण भी बना।

क्या इस सत्र 6 करोड़ के गौण खनिज फंड के रिलीज होने पर पंचायत चुनाव का बदल सकता था नक्शा – भाजपा के सरकार आते ही जनपद पंचायत में बैठी कांग्रेस नेताओं की सरकार द्वारा 6 करोड रुपए के गौण खनिज मद को मनमाना प्रस्ताव कर बांट दिया गया था,  जिस पर भारतीय जनता पार्टी ने विरोध दर्ज किया था। जिस पर करोड़ों रुपए के गौण खनिज मद पर रोक लगा दी गई अगर यह फंड रिलीज हो जाता तो कहीं ना कहीं वर्तमान पंचायत चुनाव का परिदृश्य कुछ और होता।

नए जिला जनपद पंचायत क्षेत्र के परिसीमन पर कांग्रेसियों के हार की तैयार हुई ब्लू प्रिंट – भाजपा सरकार आने के बाद जिला पंचायत क्षेत्र की घोषणा और फिर उनका परिसीमन कहीं ना कहीं कांग्रेस के लिए हार का प्रमुख कारण नजर आया। राजनीतिक पंडितों की माने तो उक्त परिसीमन से ही कांग्रेस के अभेद किलो को तोड़ने का ताना-बाना बुनना तय हो चुका था जनपद अध्यक्ष मंजू मालाकार, सरिता अरुण मालाकार और स्वयं अरुण मालाकार के निर्विरोध रहे बीडीसी क्षेत्र को घेरने के लिए नई पंचायत को समाहित किया गया जो स्पष्ट नजर आता है और वही नई पंचायत कहीं ना कहीं कांग्रेस की हार के कारणों में शामिल रहे।

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