सलौनीकला धान खरीदी केंद्र में भ्रष्टाचार का पर्दाफाश, ट्रक पर दो नंबर मिलने से मचा हड़कंप

भटगांव। सलौनीकला धान खरीदी केंद्र में बड़े पैमाने पर अनियमितताओं का मामला सामने आया है। अनुविभागीय अधिकारी (एसडीएम) बिलाईगढ़ वर्षा बंसल द्वारा की गई जांच में कई चौंकाने वाली खामियां उजागर हुई हैं।
प्राप्त जानकारी के अनुसार, किसानों से खरीदे गए 41.300 क्विंटल धान को जिस ट्रक में लोड किया जा रहा था, उसमें अनियमितताएं पाई गईं। ट्रक के नंबर प्लेट और बॉडी पर अलग-अलग नंबर पाए गए, जिससे प्रशासन की कार्यप्रणाली पर सवाल उठ रहे हैं। ट्रक के सामने और पीछे ‘सीजी 22 3901’ नंबर था, जबकि अगल-बगल में ‘सीजी 22 3601’ दर्ज था। इसके अलावा, धान की कट्टियों में भी हेरफेर पाया गया। 40 किलो की जगह किसी कट्टे में 26.800 किलो, तो किसी में 28 किलो धान ही भरा गया था, जिससे सरकार को भारी नुकसान हो रहा था।
इस मामले की शिकायत मिलने पर एसडीएम वर्षा बंसल ने खरीदी केंद्र का निरीक्षण किया, जहां ना तो हमाल मौजूद थे और ना ही कोई अन्य अधिकारी। मौके पर पहुंचे पटवारी, मंडी समिति सचिव और फेडरेशन के अधिकारियों ने धान की गिनती कर पंचनामा तैयार किया। प्रारंभिक जांच में खुलासा हुआ कि इस घोटाले में केंद्र प्रभारी, समिति अध्यक्ष और अन्य कर्मचारियों की मिलीभगत हो सकती है।
किसानों का आरोप, कार्रवाई की मांग
किसान राधेश्याम और भागीरथ ने बताया कि संग्रहण केंद्र में कम वजन का धान भेजा जा रहा है। उनकी शिकायतों के बावजूद अधिकारी फोन नहीं उठाते और न ही कोई कार्रवाई करते हैं। किसानों ने मांग की है कि पूरे धान की जब्ती कर दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाए।
पूर्व प्रभारी ने लगाए गंभीर आरोप
पूर्व प्रभारी संजय साहू ने बताया कि उन्हें बिना गलती के हटा दिया गया, जबकि उनके कार्यकाल में भी इस तरह की शिकायतें सामने आई थीं। उन्होंने पहले तहसीलदार को इस अनियमितता की जानकारी दी थी, लेकिन कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया। उनका कहना है कि संग्रहण केंद्र में धान खुले में पड़ा हुआ है और इस पर गंभीर जांच की आवश्यकता है।
एसडीएम की कार्रवाई और आगे की प्रक्रिया
एसडीएम वर्षा बंसल ने बताया कि प्राथमिक जांच में कई अनियमितताएं पाई गई हैं। उन्होंने कहा, “जांच रिपोर्ट तैयार कर जिला कलेक्टर को सौंप दी जाएगी और नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी। ट्रक के संदर्भ में भी जांच रिपोर्ट भेजी गई है, जल्द ही आवश्यक कदम उठाए जाएंगे।”
सरकारी योजनाओं में हो रहे इस तरह के भ्रष्टाचार से किसानों को परेशानी हो रही है और प्रशासन की कार्यप्रणाली पर सवाल उठ रहे हैं। अब देखना होगा कि उच्च अधिकारी इस मामले में क्या कदम उठाते हैं।