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सीमारानी प्रधान को मिली पीएचडी की उपाधि

सरसीवां । ग्राम हरदी निवासी सीमारानी प्रधान पति युगल किशोर प्रधान को बीसवीं शताब्दी के उत्तरार्ध के छत्तीसगढ़ी काव्य में राष्ट्रीय चेतना विषय पर पीएचडी की उपाधि मिली है । प्रधान ने शोध कार्य शोध निर्देशक, डॉ अनुसुइया अग्रवाल, डी. लिट् प्राचार्य, शा महाप्रभु वल्लभा चार्य स्नातकोत्तर महा विद्यालय महासमुंद व सहा. शोध निर्देशक डॉ शीला दानी स.प्रा. शा. कला व वाणिज्य कन्या महाविद्यालय रायपुर के निर्देशन में पूरा किया। इनका शोध केंद्र, शा.कला एवं वाणिज्य कन्या महा विद्यालय रायपुर रहा है। सीमारानी का जन्म फूलझर अंचल के ग्राम मोहका में पिता प्रेमलाल साहू एवं माता श्रीमती मालती साहू के घर हुआ था। बचपन से मेधावी रही श्रीमती प्रधान की शिक्षा गांव की स्कूल में हुई ।

कुछ समय मिडिल स्कूल भूकेल में शिक्षिका के पद पर पदस्थ रही। वर्तमान में शा. महाप्रभु वल्लभाचार्य स्नातकोत्तर महाविद्यालय महासमुन्द में हिंदी विभाग के स. प्रा. के पद पर कार्यरत हैं। उन्होंने बताया कि – घर गृहस्थी का काम के साथ-साथ पीएचडी की डिग्री हासिल करना एक बड़ी चुनौती भरा काम था। ग्रामीण परिवेश से निकलकर डॉक्टरेट की डिग्री हासिल करना जीवन की सबसे बड़ी उपलब्धि मानती हूँ । श्रीमती प्रधान लेखन कला के क्षेत्र में भी बड़ी भूमिका निभा रही हैं। इनके द्वारा लिखा शिव भजन रिलीज हो चुका है जिसको फ़िल्मी गायक सुरेश वाडेकर ने अपना स्वर दिया है।

इनका साझा कविता संग्रह कुसुम,छत्तीस रागनियां नई मंजिले, प्रथमा,भारत रत्न प्राप्त विभूतियों पर, अर्जुन अवार्ड प्राप्त खिलाड़ियों, भारतीय संस्कृति पर आधारित साझा संग्रह, शहीद वीर नारायण सिंह, थर्ड जेंडर आधारित लघु कथा का प्रकाशन हो चुका है। हिंदी, ओड़िया, छत्तीसगढ़ी, संबलपुरी, लरिया में लेखन कार्य एवं सामाजिक गति विधि में सक्रिय भागीदारी निभाते हुए वर्तमान में बाबा बिशासहे कुल कोलता समाज के आंचलिक सभा रायपुर के उपाध्यक्ष हैं।

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