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पुलिस भर्ती में गड़बड़ी: 3 हजार अभ्यर्थियों के अंकों में फर्जीवाड़ा, 4 आरक्षकों समेत 6 पर कार्रवाई

भर्ती प्रक्रिया में भारी अनियमितता उजागर

छत्तीसगढ़ के नांदगांव जिले में पुलिस भर्ती के दौरान 3,000 से अधिक अभ्यर्थियों के अंकों में हेरफेर और डेटा एंट्री में गंभीर गड़बड़ियां सामने आई हैं। पुलिस अधीक्षक (एसपी) मोहित गर्ग ने इस गड़बड़ी की पुष्टि करते हुए बताया कि लगभग हर इवेंट में दर्ज अंकों और समय में विरोधाभास पाया गया है।

इस मामले में अब तक 4 आरक्षकों और 2 कंपनी कर्मचारियों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया है। इन सभी का मोबाइल डेटा जब्त कर जांच जारी है। वहीं, लेनदेन की संभावना को लेकर उनके बैंक खातों की भी जांच हो रही है।

डेटा एंट्री में मिली गड़बड़ियां

भर्ती प्रक्रिया के दौरान हर इवेंट के मैनुअल नंबर और सॉफ्टवेयर में दर्ज नंबर अलग-अलग मिले हैं। इसके अलावा, इवेंट के समय और अंक दर्ज करने के समय में भी असंगतता पाई गई है। पुलिस के अनुसार, भर्ती प्रक्रिया में इस्तेमाल किए गए सॉफ्टवेयर का उपयोग पूरे प्रदेश में हो रहा है, जिससे अन्य जिलों में भी गड़बड़ी की संभावना जताई जा रही है।

मामले की जांच सीएसपी को सौंपी गई

इस गड़बड़ी की जांच अब सीएसपी पुष्पेंद्र नायक को सौंप दी गई है। पहले इस मामले की जांच लालबाग थाना स्तर पर हो रही थी, लेकिन इसकी गंभीरता को देखते हुए इसे वरिष्ठ अधिकारी को ट्रांसफर कर दिया गया है।

वन विभाग ने भी शुरू किया डेटा वेरिफिकेशन

इसी कंपनी द्वारा वनरक्षक भर्ती की फिजिकल टेस्ट प्रक्रिया भी कवर की गई थी। पुलिस भर्ती में गड़बड़ी उजागर होने के बाद अब वन विभाग ने भी अपने अंकों का वेरिफिकेशन शुरू कर दिया है। मैनुअल और ऑनलाइन दर्ज आंकड़ों का मिलान किया जा रहा है।

पूरे प्रदेश में सवालों के घेरे में कंपनी

टाइमिंग टेक्नोलॉजी कंपनी पूरे छत्तीसगढ़ में पुलिस भर्ती के इवेंट कवर कर रही है। नांदगांव में मिली गड़बड़ियों के बाद अन्य जिलों में भी ऐसी ही गड़बड़ी की प्रबल आशंका है।

प्रदर्शन और भर्ती प्रक्रिया पर सवाल

इस बीच, रायपुर में निलंबित आरक्षक संजीव मिश्रा ने प्रदर्शन करते हुए भर्ती प्रक्रिया और आरक्षकों पर हो रही कार्रवाई पर सवाल खड़े किए। उन्होंने राजधानी के अंबेडकर चौक पर तख्ती लेकर प्रदर्शन किया और पूरी भर्ती प्रक्रिया को पारदर्शी बनाने की मांग की।

गड़बड़ी पर जिम्मेदार अफसरों पर कोई कार्रवाई नहीं

अब तक की कार्रवाई केवल आरक्षकों और कर्मचारियों तक सीमित है। उच्च अधिकारियों से अभी तक कोई पूछताछ नहीं की गई है, जिससे पारदर्शिता और निष्पक्षता पर सवाल उठ रहे हैं।

निष्कर्ष

भर्ती प्रक्रिया में इतनी बड़ी अनियमितता ने प्रशासन और भर्ती प्रणाली की साख पर सवाल खड़े कर दिए हैं। एसपी द्वारा मामले की जांच की पुष्टि और दोषियों पर कार्रवाई की पहल सराहनीय है, लेकिन इस घटना ने भर्ती प्रक्रिया की पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए बेहतर निगरानी और जवाबदेही की जरूरत को उजागर किया है।

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