छत्तीसगढ़सारंगढ़ बिलाईगढ़

रंगोली, डॉक्यूमेंट्री, रैली, फोटो प्रदर्शनी के माध्यम से मनाया गया संविधान हत्या दिवस

सारंगढ़ बिलाईगढ़ । लोकतंत्र की हत्या आपातकाल तथा संविधान की हत्या आपातकाल के दंश को सहन करने वाले को स्मरण करने तथा लोकतांत्रिक मूल्यों को पुनस्थापित करने के लिए संघर्ष करने वाले लोगों के सम्मान में संविधान हत्या दिवस पर रैली का आयोजन किया गया। रैली कृषि उपज मंडी सारंगढ़ से मुख्य सड़क मार्ग होते हुए कलेक्ट्रेट पहुंची। इस अवसर पर संविधान की हत्या आपातकाल पर आधारित फोटो प्रदर्शनी लगाई गई थी, जिसका स्कूली बच्चों ने अवलोकन किया।

इस अवसर पर अतिथि के रूप में अपर कलेक्टर प्रकाश सर्वे, नोडल अधिकारी अनिकेत साहू, एसडीओपी स्नेहिल साहू, सहायक नोडल अधिकारी नरेश चौहान, तोषी गुप्ता एवं स्कूली बच्चे उपस्थित थे।

अतिथियों के द्वारा स्कूली बच्चों को जानकारी दी गई कि 1975 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने 1975 से 1977 की समयावधि में आपातकाल लागू कर संविधान की हत्या की थी। 1971 के आम निर्वाचन में इंदिरा गांधी देश की प्रधानमंत्री बनी। तत्कालीन जननेता जयप्रकाश नारायण ने उच्च न्यायालय में इस निर्वाचन के खिलाफ मुकदमा दायर किया था।

उच्च न्यायालय द्वारा यह निर्णय लिया गया कि तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने जय प्रकाश नारायण को निर्वाचन में हराने के लिए सरकारी तंत्र का दुरूपयोग किया था तथा उन्हें दोषी पाया गया। उन्हें 6 साल के लिए किसी भी निर्वाचित पद पर आसीन होने से वंचित कर दिया गया। उन्होंने कहा कि संविधान की धारा 352 अंतर्गत राष्ट्र में आपातकालीन परिस्थितियों में आपातकाल लगाया जा सकता है, लेकिन अपने पद का दुरूपयोग करते हुए व अपनी सत्ता बचाने के लिए उन्होंने देश में आपातकाल की घोषणा की थी। इस दौरान नागरिकों के विचार एवं अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता तथा मौलिक अधिकारों का हनन किया गया।

आपातकाल के दौरान लोगों में भय एवं असुरक्षा का माहौल रहा तथा देश के बड़े नेताओं एवं नागरिकों ने आपातकाल के खिलाफ संघर्ष किया। 1977 की आम निर्वाचन में देश की जनता ने वोट के माध्यम से आपातकाल का विरोध किया। आपातकाल के दौरान बड़ी संख्या में नागरिकों, पत्रकारों, नेताओं को मीसा में बंद किया गया था। उनके स्मरण में लोकतंत्र की हत्या आपातकाल दिवस मनाया गया।

इस अवसर पर संविधान की हत्या आपातकाल को घटना क्रम को वीडियो के माध्यम से दिखाया गया तथा लोकतांत्रिक मूल्यों को कायम रखने एवं संविधान के संरक्षण के लिए आपातकाल के दुष्परिणाम को बताया गया। आपातकाल के 50 वर्ष पूर्ण होने पर आपातकाल से प्रभावित जन नेताओं, पत्रकारों एवं नागरिकों के सम्मान में उस कालखंड को याद करते हुए यह दिन मनाया गया।

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