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अगर सरकार सच में बेटियों की सुरक्षा और सशक्तिकरण को लेकर गंभीर है, तो प्रशिक्षण की अवधि और बजट बढ़ाना चाहिए…….. तरुण खटकर

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सोशल एक्टिविस्ट तरुण खटकर ने बताया कि छत्तीसगढ़ सरकार ने स्कूलों में बेटियों को रानी लक्ष्मीबाई जैसी साहसी और निपुण योद्धा बनाने का ऐलान किया है। और इसके लिए देश की पहली स्वतंत्रता सेनानी वीर वीरांगना झांसी की रानी लक्ष्मीबाई के नाम पर रानी लक्ष्मीबाई आत्मरक्षा योजना भी शुरू किया है आत्मरक्षा के इस क्रांतिकारी सरकारी योजना के तहत स्कूलों में पढ़ने वाली छात्राओं को 90 दिवसीय प्रशिक्षण दिया जाता था जिससे वह छेड़छाड़ और अपहरण जैसी घटनाओं का सामना करने के लिए जुड़ों, कराटे, ताइक्वांडो,किक बॉक्सिंग,और मार्शल आर्ट की अद्भुत कला सीखतीं है

परंतु इस साल 2024-25 में सरकार ने प्रशिक्षण का समय 90 दिनों से घटाकर 30 दिन कर दिया है।

आत्मरक्षा के इस क्रांतिकारी सरकारी मॉडल में बेटियों को 2024-25 में अब सिर्फ 30 दिनों तक प्रतिदिन 30 मिनट की ही ट्रेनिंग दी जाएगी, जिसमें वह छेड़छाड़ और अपहरण जैसी घटनाओं का सामना करने की अद्भुत कला सीखेंगी।

गौरतलब है कि पिछले साल 2023-24 में 6वीं से 8 वीं एवं 9 वी से 12वीं तक की छात्राओं को 90 दिनों तक यह प्रशिक्षण दिया गया था, लेकिन इस बार 60 दिनों की कटौती की गई है
क्या राज्य सरकार के अनुसार, 30 दिन और 30 मिनट के छोटे से प्रशिक्षण में बेटियां खुद को इतना सशक्त बना लेंगी कि छेड़छाड़, अपहरण जैसी घटनाओं को पल भर में नाकाम कर देंगी।

सरकार ने इस प्रशिक्षण के लिए प्रति स्कूल मात्र 5,000 रुपये का बजट तय किया गया है।

सरकार ने इस कार्यक्रम के लिए जुडो, कराटे, ताइक्वांडो, किक बॉक्सिंग और मार्शल आर्ट में दक्ष खिलाड़ियों और प्रशिक्षकों से आवेदन मांगे हैं।

आवेदन की अंतिम तिथि 16 दिसंबर 2024 तय की गई थी, और अभी तक प्रशिक्षण प्रारंभ भी नही हो पाया है और परीक्षा बहुत नजदीक में है।जो कि योजना की गंभीरता पर सवाल खड़े करता है। आखिर इतने कम समय में प्रशिक्षक कैसे चयनित होंगे। और इतने कम समय में प्रशिक्षक बालिकाओं को कैस प्रशिक्षित करेंगे

तरुण खटकर ने कहा कि सारंगढ़ बिलाईगड जिले में 537 स्कूलों के 23 हजार 318 बालिकाओं को एवं बलौदाबाजार भाटापारा जिले में 640 स्कूलों के 32 हजार बालिकाओं को योजना में जोड़ा गया है जिसमें
सारंगढ़ विकासखंड के 177 स्कूलों में 8206 बालिका,बिलाईगड विकास खंड में 210 स्कूलों ‌के 10190 बालिका, एवं बरमकेला विकासखंड के 150 स्कूलों मे 4922 बालिका एवं बलौदा बाजार भाटापारा जिले में कसडोल विकासखंड के171 स्कूल, बलौदा बाजार विकासखंड के 132 स्कूल,पलारी विकासखंड के 124 स्कूल , भाटापारा विकासखंड के 103 स्कूल, एवं सिमगा विकासखंड के 110‌ स्कूल कुल 640 स्कूल के लगभग 32 हजार बच्चे शामिल हैं

योजना को लेकर इन हजारों छात्राओं और उनके अभिभावकों के मन में कई सवाल हैं। क्या 30 दिनों के प्रशिक्षण से बेटियां वास्तविक परिस्थितियों में खुद को सुरक्षित महसूस कर पाएंगी? क्या 5,000 रुपये प्रति विद्यालय का बजट पर्याप्त है? और सबसे बड़ा सवाल यह कि केवल 30 मिनट की दैनिक ट्रेनिंग में कितना कुछ सीखा जा सकता है? इस योजना से ऐसा लगता है कि यह सरकार का मानना है कि महिला सशक्तिकरण का फॉर्मूला केवल मिनटों और सीमित बजट में हल हो सकता है।

उन्होंने कहा कि
बेटियों को सही प्रशिक्षण और संसाधनों की जरूरत है अगर सरकार सच में बेटियों की सुरक्षा और सशक्तिकरण को लेकर गंभीर है, तो प्रशिक्षण की अवधि और बजट बढ़ाना चाहिए। इसके अलावा, प्रशिक्षकों को समय पर चयनित करना और आधुनिक उपकरणों से लैस करना जरूरी है। नही तों, यह योजना केवल कागजों में आत्मनिर्भरता की तस्वीर बनाएगी और असल जिंदगी में बेटियों की सुरक्षा पर सवाल छोड़ जाएगी।

श्री खटकर ने कहा कि बेटियों का सशक्तिकरण दिखावे से नहीं, बल्कि ठोस कदमों से होगा छत्तीसगढ़ की बेटियां रानी लक्ष्मीबाई की तरह साहसी जरूर बनेंगी, लेकिन सही तैयारी और संसाधनों के साथ, न कि 30 मिनट और 30 दिनों के दिखावे के फॉर्मूले से!

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