छात्रावासों की बदहाली को लेकर विधानसभा में मुखर हुई कविता प्राण लहरें

प्रखरआवाज@न्यूज़
छात्रावासों की बदहाली से उजागर हुई सरकार की असंवेदनशीलता
बिलाईगढ़ विधानसभा क्षेत्र में आदिवासी एवं अनुसूचित जाति छात्रावासों की जर्जर स्थिति पर उठा सवाल
सारंगढ़ बिलाईगढ़ न्यूज़/ प्रदेश सरकार द्वारा शिक्षा और आदिवासी कल्याण को लेकर बड़े-बड़े दावे किए जाते हैं, लेकिन बिलाईगढ़ विधानसभा क्षेत्र की जमीनी हकीकत कुछ और ही बयां करती है। विधायक श्रीमती कविता प्राण लहरे द्वारा विधानसभा में पूछे गए प्रश्न के जवाब में जो तथ्य सामने आए हैं, वह सरकार की असलियत को उजागर करते हैं। छात्रावासों की बदहाल स्थिति को लेकर बिलाईगढ़ विधानसभा की विधायक श्रीमती कविता प्राण लहरें मुखर नजर आई।
सरकारी जवाब के अनुसार, जिला सारंगढ़-बिलाईगढ़ में संचालित 3 छात्रावास भवन जर्जर हालत में हैं, जहां आदिवासी और अनुसूचित जाति वर्ग के बच्चे अस्थायी व्यवस्था में पढ़ाई करने को मजबूर हैं। शेष छात्रावासों में भी पेयजल, शौचालय, साफ-सफाई और सुरक्षा जैसी मूलभूत सुविधाओं का अभाव है।
और यही नहीं —
सरकारी आँकड़े बताते हैं कि:
• 26 अधीक्षक पदों में से 10 पद रिक्त हैं
• 90 रसोइया/चौकीदार पदों में से 48 पद खाली हैं
• छात्रों की देखभाल ‘दैनिक मजदूरों’ के भरोसे की जा रही है
सरकार ने स्पष्ट किया कि इन भवनों की मरम्मत या पुनर्निर्माण के लिए अब तक कोई स्वीकृति जारी नहीं की गई है।
यह स्थिति तब है जब छात्रावासों में रह रहे छात्र-छात्राओं की सुरक्षा, पढ़ाई और स्वास्थ्य पूरी तरह इसी अव्यवस्था पर निर्भर है।
क्या यही है ‘न्याय के साथ विकास’?
सरकार द्वारा हर वर्ष बजट में करोड़ों रुपये आदिवासी कल्याण योजनाओं के नाम पर जारी किए जाते हैं, लेकिन यदि छात्रावासों जैसी बुनियादी व्यवस्थाएं ही नहीं सुधर पा रही हैं, तो यह धन कहां जा रहा है?
विधायक कविता लहरे ने सवाल उठाया है कि अगर बच्चों के लिए सुरक्षित और गरिमामय वातावरण सरकार नहीं दे सकती, तो फिर योजनाओं की घोषणाएं केवल दिखावा ही हैं।
यह सिर्फ बिलाईगढ़ की नहीं, पूरे प्रदेश में आदिवासी छात्रावासों की बदहाली की बानगी है और सरकार की प्राथमिकताओं पर बड़ा प्रश्नचिह्न है।