तमनार में अडानी के कोल ब्लॉक के खिलाफ ग्रामीणों का उग्र प्रदर्शन, विधायक सहित कई गिरफ्तार

रायगढ़, छत्तीसगढ़ : रायगढ़ जिले के तमनार ब्लॉक में आज (26 जून 2025) अडानी एंटरप्राइजेज लिमिटेड के गारे पेलमा कोल ब्लॉक में चल रही पेड़ों की कटाई के खिलाफ ग्रामीणों ने ज़ोरदार विरोध प्रदर्शन किया। इस दौरान पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच झड़प हुई, जिसके बाद पुलिस ने लैलूंगा विधायक विद्यावती सिदार, पूर्व मंत्री सत्यानंद राठिया सहित लगभग 50 ग्रामीणों को हिरासत में ले लिया।
विरोध का केंद्र: मुड़ा गांव में पेड़ कटाई
आज सुबह से ही मुड़ा गांव स्थित कोल ब्लॉक क्षेत्र में तनाव का माहौल था, जहाँ करीब 1500 से अधिक पेड़ों को काटने का काम चल रहा था। स्थानीय ग्रामीण, जो लंबे समय से इस कोयला खदान का विरोध कर रहे हैं, भारी संख्या में घटनास्थल पर जमा हो गए। उनका आरोप है कि यह परियोजना उनकी आजीविका, पर्यावरण और पुश्तैनी ज़मीन के लिए बड़ा खतरा है।
प्रदर्शनकारियों का कहना है कि यह क्षेत्र आदिवासी बहुल है और पांचवीं अनुसूची के अंतर्गत आता है, जहाँ ग्राम सभा की अनुमति के बिना किसी भी औद्योगिक गतिविधि की अनुमति नहीं दी जा सकती। उन्होंने पहले भी आरोप लगाए हैं कि खनन के लिए हुई जनसुनवाईयां फर्जी थीं और ग्रामीणों की आपत्तियों को अनसुना कर दिया गया।
पुलिस कार्रवाई और गिरफ्तारी
प्रदर्शन को नियंत्रित करने के लिए घटनास्थल पर भारी संख्या में पुलिस बल, वन विभाग और जिला प्रशासन के अधिकारी तैनात थे। जैसे ही ग्रामीणों ने पेड़ कटाई रोकने का प्रयास किया, पुलिस ने बल प्रयोग कर उन्हें खदेड़ना शुरू कर दिया। इस दौरान, कई प्रदर्शनकारियों को हिरासत में लिया गया, जिनमें क्षेत्र के प्रमुख नेता भी शामिल थे।
पुलिस अधिकारियों का कहना है कि उन्होंने कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए यह कार्रवाई की है। हालांकि, हिरासत में लिए गए नेताओं और ग्रामीणों ने पुलिस की कार्रवाई की निंदा करते हुए इसे लोकतंत्र का दमन बताया है।
ग्रामीणों में गहरा आक्रोश
इस घटना ने स्थानीय ग्रामीणों में भारी आक्रोश भर दिया है। उनका आरोप है कि सरकार और प्रशासन अडानी कंपनी को खुली छूट दे रहे हैं और स्थानीय लोगों के अधिकारों का हनन कर रहे हैं। ग्रामीणों का कहना है कि वे अपनी ज़मीन और जंगल बचाने के लिए हर संभव प्रयास करेंगे, भले ही उन्हें कितनी भी कठिनाइयों का सामना करना पड़े।
यह मामला एक बार फिर छत्तीसगढ़ में विकास परियोजनाओं और स्थानीय समुदायों के अधिकारों के बीच चल रहे दशकों पुराने संघर्ष को उजागर करता है। देखना होगा कि यह विरोध प्रदर्शन आगे क्या मोड़ लेता है और क्या ग्रामीण अपनी मांगों को मनवाने में सफल हो पाते हैं।