छत्तीसगढ़सारंगढ़ बिलाईगढ़

युक्तियुक्तकरण की मार: सरिया डीपापारा प्राथमिक शाला बंद होने से ग्रामीणों में आक्रोश, आंदोलन की चेतावनी

17 बच्चों की उपस्थिति और 2 किमी दूरी के बावजूद बंद हुआ स्कूल, ग्रामीणों ने कलेक्टर से की शिकायत

सरिया डीपापारा प्राथमिक शाला बंद, ग्रामीणों में उबाल

छत्तीसगढ़ सरकार की युक्तियुक्तकरण नीति जहां शिक्षा व्यवस्था को बेहतर करने का दावा करती है, वहीं सरिया क्षेत्र के डीपापारा गांव में इसका उल्टा असर देखने को मिला है। बरमकेला विकासखंड स्थित इस प्राथमिक स्कूल में 17 छात्र पढ़ते थे और यह निकटतम कन्या शाला से 2 किलोमीटर दूर स्थित है, फिर भी इसे बंद कर दिया गया। इससे ग्रामीणों में गहरा आक्रोश है।


नियमों की अनदेखी कर किया गया स्कूल मर्ज, ग्रामीणों ने दी आंदोलन की चेतावनी

सरकार की नीति के अनुसार ग्रामीण क्षेत्रों में 10 से कम बच्चों और 1 किमी दूरी वाले स्कूलों को मर्ज किया जाना था, लेकिन डीपापारा स्कूल इन मानकों के अंतर्गत नहीं आता। इसके बावजूद भी स्कूल को जबरन बंद कर दिया गया। इस पर ग्रामीण उरकुला चौहान, चंद्रशेखर चौहान, हेमंत चौहान, और गिरधारी चौहान ने सारंगढ़ के कलेक्टर से मिलकर विरोध दर्ज कराया है।


वंचित वर्ग के बच्चों की शिक्षा खतरे में, सुविधा नहीं, संसाधन नहीं

चौहान गांडा समाज के ब्लॉक अध्यक्ष विशिकेशन चौहान ने बताया कि डीपापारा स्कूल में अधिकांश बच्चे अनुसूचित जाति से आते हैं और आर्थिक रूप से बेहद कमजोर हैं। दो किलोमीटर दूर पैदल चलकर स्कूल भेजना अभिभावकों के लिए संभव नहीं है क्योंकि वे खुद मजदूरी पर जाते हैं और बच्चों को स्कूल छोड़ने की सुविधा नहीं है।


जिला प्रशासन पर लापरवाही का आरोप, साजिश का संदेह

गांडा समाज के कार्यकारी जिला अध्यक्ष गोपाल बाघे ने आरोप लगाया कि यह स्कूल जानबूझकर बंद किया गया है। उन्होंने कहा कि अगर सात दिन के भीतर स्कूल को दोबारा नहीं खोला गया तो चौहान समाज जन आंदोलन के लिए मजबूर होगा। उनका दावा है कि यह स्कूल बंद करना एक सोची-समझी साजिश है जिससे समाज विशेष के बच्चों को शिक्षा से वंचित किया जा सके।


सरकार की नीति पर उठे सवाल, जवाब मांग रही है जनता

यह मामला शिक्षा के अधिकार, समानता और सामाजिक न्याय से सीधे जुड़ा हुआ है। यदि युक्तियुक्तकरण के नाम पर उन बच्चों का भविष्य छीना जा रहा है जो पहले से ही वंचित और कमजोर वर्ग से आते हैं, तो यह न केवल नीति की असफलता है बल्कि संवेदनशीलता की भी कमी दर्शाता है।

सरिया डीपापारा स्कूल का बंद होना सिर्फ एक भवन पर ताला लगना नहीं, बल्कि दर्जनों बच्चों के भविष्य पर विराम लगना है। यदि शासन प्रशासन ने शीघ्र हस्तक्षेप नहीं किया, तो यह मुद्दा क्षेत्रीय जन आंदोलन का कारण बन सकता है।

 

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button