छत्तीसगढ़

रिश्तेदार की डिग्री, मुन्ना भाई का कारोबार: बिना योग्यता एलोपैथिक इलाज, स्वास्थ्य विभाग बेखबर!

पाली/कोरबा : पाली विकासखंड के ग्राम रजकम्मा में स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही के चलते एक फर्जी डॉक्टर वर्षों से खुलेआम एलोपैथिक इलाज कर रहा है। हैरानी की बात यह है कि यह तथाकथित चिकित्सक न तो एमबीबीएस है, न ही उसके पास इलाज की कोई अधिकृत डिग्री है। फिर भी उसने अपने रिश्तेदार की होमियोपैथी (BHMS) डिग्री की आड़ में एक सुसज्जित क्लिनिक खोल रखा है और मरीजों का एलोपैथिक तरीके से इलाज कर रहा है।

स्थानीय सूत्रों के मुताबिक, यह बंगाली मूल का व्यक्ति लंबे समय से बिना किसी वैध पंजीयन और डिग्री के गंभीर बीमारियों का इलाज कर रहा है। मरीजों को न केवल एलोपैथिक दवाइयाँ दी जा रही हैं, बल्कि इंजेक्शन, सलाइन लगाने से लेकर चीरा और टांका जैसी प्रक्रियाएं भी की जा रही हैं। यह सब ऐसे समय में हो रहा है जब चिकित्सा नियमों के तहत क्लिनिक संचालन के लिए न केवल संबंधित चिकित्सा शाखा की डिग्री आवश्यक होती है, बल्कि स्वास्थ्य विभाग से पंजीयन और फार्मेसी लाइसेंस भी अनिवार्य होता है।

खास बात यह है कि मार्च महीने में जब इस फर्जीवाड़े की खबर उजागर हुई थी, तो इस तथाकथित डॉक्टर ने अपना क्लिनिक बंद कर दिया था। लेकिन कुछ हफ्तों बाद फिर से इलाज का धंधा शुरू कर दिया गया है। चौंकाने वाली बात यह है कि यह सब कुछ स्वास्थ्य विभाग की जानकारी में होते हुए भी अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई।

गरीबों की मजबूरी बन रही खतरा

इस क्लिनिक में इलाज कराने वाले अधिकतर मरीज गरीब और ग्रामीण पृष्ठभूमि से आते हैं, जिनके पास न तो ज्यादा विकल्प हैं, और न ही चिकित्सा कानूनों की जानकारी। इलाज से यदि किसी मरीज को नुकसान भी होता है, तब भी वे शिकायत करने से डरते हैं या असहाय महसूस करते हैं। यही वजह है कि यह फर्जी डॉक्टर बेखौफ होकर लोगों की जान से खेल रहा है।

क्या कहते हैं नियम?

चिकित्सा क्षेत्र में इलाज करने के लिए डॉक्टर के पास संबंधित प्रणाली—जैसे कि एमबीबीएस, एमडी, बीएचएमएस, बीएएमएस, बीयूएमएस—की डिग्री होना अनिवार्य है। साथ ही क्लिनिक संचालन और दवा वितरण के लिए स्वास्थ्य विभाग से पंजीकरण और फार्मेसी लाइसेंस की जरूरत होती है। लेकिन रजकम्मा में यह फर्जीवाड़ा न केवल नियमों की धज्जियां उड़ा रहा है, बल्कि प्रशासनिक अनदेखी भी उजागर कर रहा है।

अब क्या?

यह मामला एक बार फिर स्वास्थ्य विभाग की निष्क्रियता पर सवाल खड़ा करता है। लोगों की जान जोखिम में डालने वाले इस कथित डॉक्टर के खिलाफ अभी तक कोई कठोर कदम न उठाया जाना चिंता का विषय है। जरूरत है कि विभाग तत्काल संज्ञान ले और बिना डिग्री इलाज कर रहे इस फर्जी चिकित्सक पर कठोर कार्रवाई करे, ताकि भविष्य में ऐसी घटनाएं दोहराई न जाएं।

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