सरगुजा : मानसिक रूप से अस्वस्थ व्यक्ति ने पत्नी और बेटी की कुल्हाड़ी से हत्या कर की, खुदकुशी की कोशिश में ग्रामीणों ने बचाया

सरगुजा, छत्तीसगढ़।
सरगुजा जिले के कमलेश्वरपुर थाना क्षेत्र से एक बेहद दिल दहला देने वाली वारदात सामने आई है। नर्मदापुर के माझापारा गांव में एक व्यक्ति ने अपनी पत्नी और मासूम बेटी की कुल्हाड़ी से हत्या कर दी। इसके बाद वह खुद भी आत्महत्या करने की कोशिश कर रहा था, लेकिन समय रहते ग्रामीणों और पुलिस ने उसे बचा लिया।
मानसिक अस्वस्थता बनी खूनी वारदात की वजह
घटना का आरोपी सुशील माझी (34) बताया जा रहा है, जिसकी मानसिक स्थिति पिछले एक महीने से ठीक नहीं थी। वह असामान्य हरकतें कर रहा था, लेकिन इलाज नहीं करवाया गया। बुधवार सुबह उसने घर में खुद को बंद कर लिया, उस समय उसकी पत्नी संझई माझी (32) और 7 वर्षीय बेटी प्रियंका माझी भी घर में मौजूद थीं।
सुबह करीब 11 बजे तक घर से चीखने की आवाजें सुनाई दीं, लेकिन फिर अचानक सब शांत हो गया। जब पड़ोसियों ने दरवाजा खटखटाया और कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली, तो उन्होंने पुलिस को सूचित किया।
छप्पर तोड़कर घुसे ग्रामीण, आरोपी को पकड़ा
डायल 112 की टीम के साथ पहुंचे ग्रामीणों ने छप्पर हटाकर अंदर झांका, तो भीतर का दृश्य देखकर सब सन्न रह गए। पत्नी और बेटी की खून से सनी लाशें फर्श पर पड़ी थीं और सुशील फांसी लगाने की कोशिश कर रहा था। जब ग्रामीण घर में घुसे, तो आरोपी ने भोदल राम नामक युवक पर चाकू से हमला करने की कोशिश की, लेकिन ग्रामीणों ने उसे दबोच लिया।
इसके बाद पुलिस ने मौके पर पहुंचकर सुशील माझी को गिरफ्तार कर लिया।
पहले होटल में करता था काम, अब अकेलेपन में टूटा
जानकारी के अनुसार, सुशील पहले होटल में मिस्त्री का काम करता था और कुछ समय पहले उसने पंचायत के सामने खुद का छोटा होटल भी शुरू किया था। माता-पिता और भाई की पहले ही मृत्यु हो चुकी थी, वह अपनी पत्नी और बेटी के साथ ही रहता था। कुछ समय पहले उसकी मानसिक स्थिति बिगड़ी थी, जो बीच में सामान्य भी हुई, लेकिन हाल ही में फिर से उसका व्यवहार अजीब हो गया था।
पुलिस ने शुरू की जांच, गांव में मातम का माहौल
इस दोहरी हत्या से पूरे गांव में शोक और दहशत का माहौल है। पुलिस ने आरोपी को गिरफ्तार कर लिया है और मामले की गहराई से जांच जारी है। वहीं, मृतकों के शवों को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया गया है और रिश्तेदारों को घटना की सूचना दे दी गई है।
यह वारदात एक बार फिर बताती है कि मानसिक स्वास्थ्य की अनदेखी कितनी खतरनाक हो सकती है — न सिर्फ मरीज के लिए, बल्कि उसके पूरे परिवार के लिए भी।